
प्रमोशन नीति में क्या है खास?
कैबिनेट ने प्रमोशन के लिए विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) के प्रावधानों को मंजूरी दी है। इस नीति में वरिष्ठता को प्राथमिकता दी गई है, ताकि कर्मचारियों के साथ न्याय हो सके। साथ ही, यह सुनिश्चित किया गया है कि प्रमोशन प्रक्रिया में किसी भी तरह की कानूनी अड़चन न आए। इसके लिए सभी आवश्यक कानूनी पहलुओं का अध्ययन किया गया और नीति को पारदर्शी बनाया गया है। कैबिनेट ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रमोशन कमेटी को कर्मचारी या अधिकारी की उपयोगिता (यूटिलिटी) तय करने का अधिकार होगा, जिससे योग्य उम्मीदवारों को प्राथमिकता मिले।
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— Nation Mirror (@nationmirror) June 17, 2025
Government Employees Promotion: अपात्रता और पुनर्विलोकन की व्यवस्था
प्रमोशन नीति में यह भी स्पष्ट किया गया है कि किन परिस्थितियों में कोई लोकसेवक (पब्लिक सर्वेंट) प्रमोशन के लिए अपात्र माना जाएगा। इसके लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, ताकि प्रक्रिया में कोई अस्पष्टता न रहे। इसके अलावा, प्रमोशन से संबंधित फैसलों की समीक्षा के लिए रिव्यू डीपीसी की व्यवस्था भी की गई है। यह व्यवस्था सुनिश्चित करेगी कि यदि किसी कर्मचारी को प्रमोशन में कोई आपत्ति है, तो उसका निष्पक्ष समाधान हो सके। इस कदम से प्रमोशन प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की कोशिश की गई है।
नई भर्तियों के लिए रास्ता साफ
मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि इस फैसले से न केवल मौजूदा कर्मचारियों को लाभ होगा, बल्कि नई भर्तियों के लिए भी अवसर खुलेंगे। प्रमोशन के बाद रिक्त होने वाले पदों पर नए कर्मचारियों की भर्ती की जाएगी, जिससे बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे। यह कदम मध्यप्रदेश में प्रशासनिक कार्यक्षमता को बढ़ाने और कर्मचारियों के मनोबल को ऊंचा करने में महत्वपूर्ण साबित होगा।

Government Employees Promotion: आरक्षित वर्गों को प्राथमिकता
प्रमोशन नीति में आरक्षित वर्गों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। कैबिनेट ने यह सुनिश्चित किया है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के कर्मचारियों को उनके अधिकारों के अनुसार उचित प्रतिनिधित्व मिले। इस नीति से सामाजिक समावेश को बढ़ावा मिलेगा और सभी वर्गों के कर्मचारियों को समान अवसर प्राप्त होंगे।