रिपोर्ट – प्रशांत जोशी
Pet Animal Law: हाल ही में, जिला वन अधिकारी डीएफओ ने एक फरमान जारी किया है जिसमें पालतू तोतों को एक सप्ताह के अंदर नजदीकी चिड़ियाघर में जमा करने का निर्देश दिया गया है। इस फरमान के पीछे सरकार की मंशा क्या है। यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। लेकिन एक बात तय है कि इससे पालतू तोतों के मालिकों में हड़कंप मच गया है। तोते के मालिकों के कहना है कि तोते से उनका पारिवारिक संबंध बन चुका है।
तोतों को रखने पर बड़ी अपडेट
वह परिवार का एक हिस्सा है जिसे पिछले 5, 6 वर्षो से उसका लालन पालन व देखभाल कर रहे है अगर सरकार को ये निर्णय लेना ही है तो तोते के ख़रीद करते या बेचे जाने पाए जाने पर करनी चाहिए ।क्योंकि पालतु तोते घर पर खुले में रहते है जब घर वाले बाहर जाते या घर पर कोई न रहता टैब पिंजरे में डाला जाता है ताकि बिल्ली से सुरक्षित रखा जा सके ।
तोतों को चिड़ियाघर में जमा करना पड़ेगा?
वन प्राणी संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत सरकार का यह आदेश क्या है जो पालतू तोतों को चिड़ियाघर में जमा करने के लिए कहता है? क्या सरकार को इससे कोई फायदा होगा? क्योंकि घर में भी तोते पिंजरे में कैद होते हैं और चिड़ियाघर में भी उन्हें पिंजरे में ही रखा जाएगा। सरकार को सोचना होगा कि क्या यह आदेश पालतू तोतों के हित में है? क्या इससे उनकी जिंदगी पर कोई प्रभाव पड़ेगा? क्या सरकार को तोतों की आजादी को महत्व देना चाहिए?
Pet Animal Law: इन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी
इस फरमान से पालतू तोतों के मालिकों में डर और भय का माहौल है। उन्हें डर है कि अगर वे अपने तोतों को चिड़ियाघर में नहीं जमा करेंगे, तो उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्हें दंड और जेल भी हो सकती है। सरकार को इस बात पर सोचना होगा कि क्या यह आदेश जनता के हित में है। क्या इससे पालतू तोतों के मालिकों को कोई फायदा होगा? क्या सरकार को तोतों की आजादी को महत्व देना चाहिए?
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Pet Animal Law: आपके विचार!
आपको क्या लगता है कि सरकार का यह आदेश पालतू तोतों के लिए क्या मायने रखता है? क्या सरकार को तोतों की आजादी को महत्व देना चाहिए? अपने विचार हमें बताएं!
