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न जाने कैसी बीती वो रात जब सोच में था की जान दूं तो आखिर कैसे ?
Siddharth Suicide Update: मैं सिद्धार्थ, जिसने अपनी ज़िंदगी अपने हाथ से खत्म कर ली। इससे पहले जब मेरे हाथ में मोबाईल था और बस फिर गूगल पर खोज शुरू कर दी, कि easiest way to suicide.
कई तरीके पढ़े, इतने सारे तरीके पढ़ने के बाद दिमाग में खलबली होना शुरू हो गई. कि आखिर जान देने का आसान तरीका क्या होना चाहिए?
40 सेकंड में आसान मौत
Siddharth Suicide Update: अभी तक बस दर्द भरे तरीके ही सामने आ रहे थे. मरने से पहले मैं और दर्द नहीं सहना चाहता था. उंगलियों के सहारे गूगल पर आगे बढ़ता रहा और आखिर में एक आसान तरीका मिला, जिसमें 40 सेकंड में आसान मौत. ये तरीका देख मन में तसल्ली हुई कि मौत को गले लगाने का इससे आसान और दर्दहीन तरीका नहीं हो सकता था।
Siddharth Suicide Update: खूद से हार गया
दिमाग में जुनून था मरने का, तो बस फिर क्या था लग गया अपने लिए मौत का समान जुटाने. मरने से पहले दुनिया को आखिरी पैगाम लिखना था सो इतमिनान से लिख दिया. आखिरी खत अपनों के लिए.शब्द ज्यादा थे बहुत कुछ कहना चाहता था लेकिन 4 ही पन्ना लिख पाया. मन की बातें पन्नों पर लिखी लिखना भी जरूरी था जिससे लोग मेरी मौत की वजह को समझें,मेरी मौत के पीछे न कोई मुहब्बत, न कोई पारिवारिक कलेश या किसी का कर्ज नहीं. वजह थी तो खुद से खुद की लड़ाई जो मैं जीत नहीं सका. लो लगा लिया मौत को गले।
Siddharth Suicide Update: गलती का एहसास अब
लेकिन शायद में गलत था यह एहसास शरीर छोड़ने के बाद हुआ. मैंने जोश में बिना समझे उठाया ये कदम गलत नहीं बेहद गलत था. न मैंने परिवार का सोचा न समाज का और न ही खुद का. बस एक छोटी सी परेशानी से लड़ न सका और खुद को ही मार दिया. लेकिन इस गलती का एहसास मुझे जाने के बाद हुआ, और मैं सिद्धार्थ अपने सभी उन भाइयों बहनों से कहना चाहता हूं कि ये कदम कभी न उठाना.
Siddharth Suicide Update: अगर कोई परेशानी हो तो अपने परिवार से, दोस्तों से बात करना. अपने मन की बात बताना. लेकिन यह कदम न उठाना क्यूंकि यह कदम उठाने के बाद सिर्फ पछतावा रह जाता है.
मैं पछता रहा हूं
Siddharth Suicide Update: मैं सिद्धार्थ जो मरने के बाद अपने किए पर कितना पछता रहा हूं। ये आपको शायद नजर भी नहीं आएगा. मुझसे जो गलती हुई उससे आप ही सीख ले लेना. मैं अब आपको सचेत करना चाहता हूं, कि ऐसा कोई भी काम न करें जिसके बाद आपके परिवार का हाल भी मेरे परिवार जैसा हो.
मौत के पहले उस 40 सेकंड ने मेरी जान नहीं ली बल्कि मुझसे वो करा दिया जो इस दुनिया को सोचने पर मजबूर कर देगा कि आखिर ऐसी भी कोई उलझन हो सकती जिसकी कीमत मौत हो.
डिप्रेशन से कैसे बचें
अगर आपको लग रहा है कि आप डिप्रेशन के शिकार होते जा रहे हैं तो सबसे पहले समझ लीजिए कि यह कोई बीमारी नहीं हैं, ये बल्कि हमारी सोच हैं एक ऐसी सोच जो आपको अपने आप पर नियंत्रण खोना सिखा देती है. एक ऐसी सोच जो आपको कुछ गलत करना सीखा देती हैं.
Siddharth Suicide Update: फिर आप न तो परिवार का सोचते न किसी का . बस आजादी चाहते हैं अपने आप से अपने विचारों से, अपनों से. इस डिप्रेशन से बचने के लिए अपने बारे में नहीं अपनों के बारे में सोचे. अगर जिंदगी से मोह नहीं रहा तो अपनों के लिए ही जीना सीख लो. जिस परिवार में छोटे से बड़े हुए, जिस माँ की गोद में सोये, वो पिता जिसने अपने सपने तुम्हारे लिए छोड़ दिए और वो भाई बहन जिनके साथ तुम खेले और लड़े.
Siddharth Suicide Update: उस परिवार के साथ बैठो समय दो, अपने मन की बात कहो दोस्तों के साथ ज़िंदगी का जीने का अनुभव करो. किसी से प्यार करो लेकिन किसी को भी इस हद तक मत चाहो कि वह डिप्रेशन का कारण बन जाए. मरना कोई हल नहीं है, जीवन की समस्याएं सभी के लिए एक जैसी हैं, जब पूरी दुनिया इनसे लड़ रही है तो तुम क्यों भागते हो. मरने के बाद अपनों का बहुत बुरा हाल होता है, बस इतना ही याद रखो.