
22 जुलाई को प्रजा का हाल जानने निकलेंगे उज्जैन के राजा
MAHAKAL SAVARI: उज्जैन के राजा बाबा माहाकाल की शाही सवारी सावन माह में निकाली जाएगी। इस साल 22 जुलाई से श्रावण मास की शुरुआत होने जा रही है। इसी के चलते उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध महाकाल मंदिर में निकलने वाली बाबा महाकाल की सावन सवारी की तैयारियां भी शुरू हो गई है।
इस बार श्रावण मास की शुरुआत सोमवार से होगी, ऐसे में इस माह के पहले ही दिन बाबा महाकाल की सवारी (MAHAKAL SAVARI) निकलेगी। श्रावण मास में महाकाल मंदिर की पूजन परंपरा में भी विशेष बदलाव किया जाता है।
सामान्य दिनों में श्री महाकालेश्वर मंदिर के पट तड़के चार बजे खुलते हैं। श्रावण मास में प्रत्येक रविवार को रात 2.30 बजे मंदिर के पट खुलते हैं। शेष दिनों में मध्य रात्रि 3 बजे मंदिर के पट खोले जाते हैं और बाबा महाकाल की भस्म आरती होती है।
MAHAKAL SAVARI: सावन माह में कांवड़ियों के लिए भी विशेष व्यवस्था की जाती है। श्रावण-भादौ माह में निकलने वाली प्रत्येक सवारी में बाबा महाकाल नए स्वरूप में दर्शन देते हैं। भगवान महाकाल के इन रूपों को शिव सहस्त्रनामावली में उल्लेखित शिव के विभिन्न नामों के आधार पर बनाया गया है।
कब निकलेंगी शाही सवारी
22 जुलाई पहली सवारी, 29 जुलाई दूसरी सवारी, 5 अगस्त तीसरी सवारी, 12 अगस्त चौथी सवारी, 19 अगस्त, पांचवीं सवारी, 26 अगस्त छठी सवारी, 2 सितंबर शाही सवारी निकाली जाएगी।
महाकालेश्वर उज्जैन में शाही सवारी का इतिहास बहुत प्राचीन और महत्वपूर्ण है। महाकालेश्वर मंदिर, जो भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, उज्जैन में स्थित है।
महाकालेश्वर मंदिर का उल्लेख कई पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। उज्जैन का यह मंदिर प्राचीन समय से ही अत्यधिक महत्वपूर्ण रहा है। शाही सवारी (MAHAKAL SAVARI) की परंपरा का आरंभ भी प्राचीन काल से ही माना जाता है, हालांकि सटीक तिथि का उल्लेख नहीं मिलता।
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माना जाता है कि शाही सवारी की परंपरा मध्यकाल में भी जारी रही और विभिन्न शासकों द्वारा इसे संरक्षित और पोषित किया गया। आधुनिक समय में, शाही सवारी (MAHAKAL SAVARI) का आयोजन और भी भव्यता से किया जाता है। इसमें महाकालेश्वर भगवान की भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसमें दुनियाभर से आए श्रद्धालु भाग लेते हैं। शोभायात्रा के दौरान महाकालेश्वर की सजीव मूर्ति को रजत पालकी में रखा जाता है और नगर के विभिन्न भागों से होकर यात्रा की जाती है।
शाही सवारी के दौरान भव्य झांकी, बैंड, नृत्य और संगीत का आयोजन किया जाता है। यह आयोजन स्थानीय संस्कृति और धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक है। उज्जैन नगर निगम और मंदिर प्रबंधन समिति द्वारा इस यात्रा की विस्तृत तैयारी की जाती है, ताकि यह आयोजन निर्विघ्न और सुंदरता से संपन्न हो सके।
MAHAKAL SAVARI
महाकालेश्वर की शाही सवारी न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्व रखती है। यह आयोजन स्थानीय जनमानस के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होता है और इसे देखने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं।
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