Contents
पीएम प्रविंद जगन्नाथ की पार्टी सभी सीटें हार गई
मॉरीशस में 10 नवंबर को संसदीय चुनाव हुए थे। मॉरीशस न्यूज वेबसाइट ले मॉरिशस के मुताबिक, लेबर पार्टी के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम को जीत मिली है। वहीं, मौजूदा प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ की पार्टी सोशलिस्ट मूवमेंट को एक भी सीट नहीं मिल सकी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को मॉरीशस संसदीय चुनाव में ऐतिहासिक जीत पर नवीन रामगुलाम को बधाई दी और उन्हें भारत आने का न्योता दिया। मोदी ने कहा कि वह दोनों देशों के बीच साझेदारी को मजबूत करने के लिए मिलकर काम करने को लेकर आशान्वित हैं।
पिछले महीने मॉरीशस में कुछ ऑडियो टेप सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। जिसमें सरकार पर भ्रष्टाचार से जुड़े कई आरोप लगाए गए थे। इससे देश में नकारात्मक माहौल पैदा हुआ जिसके कारण पार्टी को चुनाव में भारी नुकसान उठाना पड़ा।
मॉरीशस में बीएलएस प्रणाली क्या है जहां हारने वाली पार्टी को सांसद बनाया जाता है? मॉरीशस की संसद में 70 सीटें हैं, लेकिन चुनाव केवल 62 सीटों के लिए होते हैं। रामगुलाम की लेबर पार्टी के गठबंधन डु चेंज गठबंधन ने 62 सीटें जीतीं। जगन्नाथ के गठबंधन लेलेप को एक भी सीट नहीं मिली। एक अन्य पार्टी ‘ओपीआर’ को 2 सीटें मिलीं।
मॉरीशस में भारतीय मूल के लोग बहुसंख्यक हैं। आजादी के समय वहां के लोगों को चिंता थी कि भारतीय मूल के लोग हमेशा संसद पर हावी रहेंगे और बाकी लोग सत्ता में भाग नहीं ले पाएंगे। उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए मॉरीशस में बेटर लूजर सिस्टम (बीएलएस) को अपनाया गया था। इसके तहत 8 सीटों पर पिछड़े समुदाय के लोगों को प्रतिनिधित्व दिया जाता है।
जगन्नाथ 2017 से देश के प्रधानमंत्री थे
जगन्नाथ के पिता ने उनकी जगह उन्हें पीएम बनाया था। इसके बाद 2019 में उन्होंने चुनाव जीता। पिछले महीने ही मॉरीशस ने विवादित चागोस द्वीप समूह का नियंत्रण ब्रिटेन से अपने हाथ में ले लिया था। वह चुनाव में इसका फायदा उठाने की कोशिश भी कर रहे थे, लेकिन उनकी पार्टी बड़े विवाद में फंस गई।
‘मिस्सी मुस्तास’ नाम के एक यूट्यूब चैनल ने अक्टूबर में देश के शीर्ष नेताओं, वकीलों, अधिकारियों और पत्रकारों के फोन टेप लीक किए थे। लीक हुए टेपों में कई खुलासे हुए हैं। एक प्रसिद्ध मामला एक पुलिस अधिकारी का था जिसने एक फोरेंसिक डॉक्टर से हिरासत में पिटाई से मरने वाले एक व्यक्ति की रिपोर्ट बदलने के लिए कहा था।
जिससे सरकार काफी परेशान थी। हालांकि, जुगनाथ सरकार ने कहा कि ये रिकॉर्डिंग असली नहीं हैं, इन्हें एआई की मदद से तैयार किया गया है। इसके बाद 31 अक्टूबर को देशभर में सोशल मीडिया पर बैन लगा दिया गया था। यह प्रतिबंध 11 नवंबर तक जारी रहा।