Who Is The Kalki: कलियुग के कल्कि अवतार की भविष्यवाणी पुराणों में अंतिम चरण में आने की की गई है| कलियुग का वर्तमान में प्रथम चरण ही चल रहा है | लेकिन कल्कि अवतार के नाम पर अभी से ही पूजा-पाठ और कर्मकांड शुरू हो चुके हैं। कुछ संगठनों का कहना है कि कल्कि अवतार के प्रकट होने का समय काफी नजदीक आ चुका है और अगर कई संगठनों की माने तो कल्कि अवतार आ चुका हैं । क्या इसको स्पष्ट रखने की जिम्मेदारी शंकराचार्य नहीं रखते हैं?
Contents
- 1 Who Is The Kalki: कल्कि भगवान से नाम से हैं एक मंदिर
- 2 Who Is The Kalki: दुनिया के प्राचीनतम एकमात्र धर्मग्रंथ है वेद
- 3 Who Is The Kalki: पुराणों में क्या बताया गया हैं कलियुग के बारे में
- 4 Who Is The Kalki: कब हुआ था कलियुग शुरू ?
- 5 Who Is The Kalki: कल्कि किस भगवान का स्वरूप हैं
- 6 Who Is The Kalki: क्या ये अवतार हो चुका है?
- 7 जैसा वर्णन उन्होंने किया उससे उनके कल्की अवतार होने पर संसय है।
Who Is The Kalki: कल्कि भगवान से नाम से हैं एक मंदिर
Who Is The Kalki: उत्तर प्रदेश के संभल गाँव में वर्तमान में भगवान कल्कि का एक मंदिर बना है। उनके नाम पर कई क्षेत्रों प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा हैं जिसका माध्यम ऑडियो, वीडियो, पुस्तक आदि साहित्य सामग्री है। कल्कि अवतार के नाम से चालीसा व मंत्र मौजूद हैं | सक्रिय कल्कि वाटिका नाम के संगठन जो की उत्तर प्रदेश में हैं अगर उसकी माने तो कल्कि अवतार के प्रकट होने का समय नजदीक आ गया है। इन लोगों का मानना है कल्कि अवतार हो गया है। और कई तरीकों से वो भक्तों को संकेत भी दे रहे है| अब बस उनका केवल प्रकट होना ही बाकी हैं ।
Who Is The Kalki: दुनिया के प्राचीनतम एकमात्र धर्मग्रंथ है वेद
Who Is The Kalki: माना जा रहा है कि हिन्दू धर्म के पतन का एक मुख्य वजह यह है कि अब लोग हर वह कार्य कर रहे हैं, जिसका वेदों में उल्लेख नहीं है। वेद 10 हजार साल पहले ही लिखे गए थे, ये हिन्दुओं के एकमात्र प्राचीनतम धर्मग्रंथ है।
वेदों का सार है ही उपनिषद है वैदिक काल में ऋषि और महर्षियों ने उपनिषदों को इसलिए लिखा का वेदों की गूड़ भाषा को आसानी से समझा जा सके।
उपनिषदों सार है श्रीमद भागवत गीता। ये इतिहासिक ग्रंथ महाभारत का एक हिस्सा है। रामायण, पुराण और स्मृतियां भी वेदिक परंपरा के बाद लिखी गई ये उस समय के इतिहास और व्यवस्था को उल्लेखीत करने वाले ग्रंथ है।
Who Is The Kalki: पुराणों में क्या बताया गया हैं कलियुग के बारे में
Who Is The Kalki: भगवान कल्कि कलियुग के अंत में अवतरित होंगे ऐसा पुराणों में बताया गया हैं | उनकी सवारी एक सफेद घोड़ा होगा जिस पर सवार होकर वो आएंगे और राक्षसों का नाश करेंगे। कालीयग 432000 वर्ष का हैं वर्तमान में जिसका अभी प्रथम चरण ही चल रहा है।
Who Is The Kalki: कब हुआ था कलियुग शुरू ?
Who Is The Kalki: कलियुग का प्रारंभ 3102 ईसा पूर्व से हुआ था, इसका समय इसलिए निश्चित बताया जा सकता है कि ज्योतिष में काल गणना है उसी के अनुसार लाखों साल पहले का समय ज्ञात किया जा सकता है।
Who Is The Kalki: ज्योतिष के अनुसार जब पांच ग्रह- मंगल, बुध, शुक्र, बृहस्पति और शनि, मेष राशि पर 0 डिग्री पर आ गए थे। तब कलियुग की शुरूआत हुई, अब कितना समय बीता इसका गणित समझे तो 3102+2017= 5119 वर्ष यानि कलियुग के पांच हजार से ज्यादा साल बीत चुके हैं और 426881 वर्ष बाकी है क्योंकि युग की समय 4 लाख 32000 साल है।
हालांकि अभी से ही कल्कि की पूजा, आरती और प्रार्थना शुरू हो गई है। करीब पौने तीन सौ साल से उनकी पूजा जारी है। यह अवतार कब होगा वर्तमान में या भविष्य में इसका उल्लेख कहीं नहीं मिलता।
Who Is The Kalki: कल्कि किस भगवान का स्वरूप हैं
कल्कि पुराण में बताया गया है कि भगवान विष्णु ही कल्कि अवतार लेगें। ये अवतार धर्म की पुन:स्थापना के लिए 64 कलाओं से युक्त होगा ।
जो उत्तरप्रदेश के संभल नामक स्थान पर विष्णुयशा नामक तपस्वी ब्राह्मण के घर भगवान कल्कि जन्म लेंगे।
उनका जो स्वरूप बताया है उसमें वह घोड़े पर सवार होकर कल्कि देवदत्त प्रकट होंगे और पापियों का विनाश करेंगे।
‘अग्नि पुराण’ के सौलहवें अध्याय में कल्कि अवतार का चित्रण तीर-कमान लिए किए हुए एक घुड़सवार के रूप में किया हैं । कल्कि पुराण के अनुसार उनके हाथ में चमचमाती हुई तलवार, सफेद घोड़े पर सवार होगे, युद्ध और विजय के लिए निकलेगा। जो म्लेच्छों को पराजित कर सनातन धर्म स्थापित करेगा। पुराणों की यह धारणा की कोई मुक्तिदाता भविष्य में होगा सभी धर्मों ने अपनाई।
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Who Is The Kalki: क्या ये अवतार हो चुका है?
अन्य पुराण और बौद्धकाल के कवियों की कविता और पुस्तकों में कल्कि अवतार होने का उल्लेख और गुणगान मिलता है। ‘वायु पुराण’ के अध्याय 98 में कल्कि अवतार कलयुग के चर्मोत्कर्ष पर जन्म ले चुका है। इसमें भदवान विष्णु की प्रशंसा करते हुए दत्तात्रेय, व्यास, कल्की विष्णु के अवतार कहे गए हैं।
मत्स्य पुराण के द्वापर और कलियुग के वर्णन में कल्कि के होने का उल्लेख मिलता है। बंगाली कवि जयदेव ने 1200 ई. और चंडीदास ने भी लिखा है कि कल्कि अवतार चुका है । जैन पुराणों में एक कल्कि नामक भारतीय सम्राट हुए है। जैन विद्वान गुणभद्र नौवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में लिखते हैं कि कल्किराज का जन्म महावीर के निर्वाण के 1 हजार वर्ष बाद हुआ। जिनसेन ‘उत्तर पुराण’ में लिखते हैं कि राजा कल्किराज ने 40 वर्ष राज किया और 70 वर्ष की आयु में उसकी मृत्यु हुई।
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जैसा वर्णन उन्होंने किया उससे उनके कल्की अवतार होने पर संसय है।
अंग्रेजों द्वारा लिखे इतिहास को देखें तो महावीर स्वामी का जन्म 599 ईसा पूर्व हुआ था। इसका मतलब महावीर के 1 हजार वर्ष बाद कल्कि हुए थे यानी कि तब भारत में गुप्त वंश का काल था। मौर्य और गुप्तकाल को भारत का स्वर्णकाल माना जाता है।
इतिहासकार केबी पाठक ने सम्राट मिहिरकुल हूण की पहचान कल्कि के रूप में की गई है। वे कहते हैं कि मिहिरकुल का दूसरा नाम कल्किराज था। जैन ग्रंथों ने कल्किराज के उत्तराधिकारी का नाम अजितान्जय बताया है। मिहिरकुल हूण के उत्तराधिकारी का नाम भी अजितान्जय था।
कुछ विद्वानों के अनुसार मिहिरकुल को कल्कि मानना इसलिए ठीक नहीं होगा, क्योंकि हूण तो विदेशी आक्रांता थे। उनको तो इतिहास में विधर्मी माना गया है। लेकिन ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार हूण विदेशी नहीं थे। उन्हें प्राचीनकाल में यक्ष कहा जाता था। वे सभी धनाढ्य लोग थे।
भारत के प्रथम शक्तिशाली हूण सम्राट तोरमाण के शासनकाल के पहले ही वर्ष का अभिलेख मध्यभारत के एरण नामक स्थान से वाराह मूर्ति से मिला है। हूणों के देवता वाराह थे। कालांतर में हूणों से संबंधित माने जाने वाले गुर्जरों के प्रतिहार वंश ने मिहिरभोज के नेतृत्व में उत्तर भारत में अंतिम हिन्दू साम्राज्य का निर्माण किया और हिन्दू संस्कृति के संरक्षण में हूणों जैसी प्रभावी भूमिका निभाई।
अंतत: यह कहा अभी भी सही नहीं होगा कि कल्कि अवतार हो चुका है। यह कहना भी उचित नहीं होगा कि होने वाले अवतार की अभी से ही पूजा की जाए या उनके मंदिर या व्यक्तित्व के आसपास धर्म का एक नई शाखा को शुरू किया जाए? जो लोग वेद को पढ़ते और समझते हैं वे ही उचित समझते हैं।
सनातन का मूल वेद ही है जो ईश्वर की प्रेरणा से सीधे महर्षियों ने लिखे, वेदों में लिखा हर श्वोक इस संसार के समस्त ज्ञान-विज्ञान का मूल है. भगवान के अवतार की व्यवस्था शांति, धर्म और न्याय की स्थापना के लिए होता रहा है।