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उज्जैन ही नहीं मालवा-निमाड़ का होगा विकास
Ujjain Kumbh: 12 साल के बाद 2028 में सिंहस्थ महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है.जिसको लेकर मोहन सरकार ने तैयारियां शुरु कर दी हैं. सिंहस्थ मेले को लेकर सीएम मोहन यादव ने मंत्रालय में बैठक कर सिंहस्थ की तैयारियों की समीक्षी की।
2028 के सिंहस्थ महाकुंभ की तैयारियां अब सीधे सीएम यादव की निगरानी में होंगी। महाकुंभ के लिए सिर्फ उज्जैन नहीं पूरे मालवा-निमाड़ क्षेत्र का विकास होगा। मंत्रालय में सिंहस्थ की तैयारियों को लेकर की गई बैठक में कई फैसले लिए गए है. पूरे आयोजन, निगरानी और समन्वय के लिए एक कैबिनेट कमेटी बनेगी। इसमें तीन साल में पूरी होने वाली सभी परियोजनाओं को शामिल किया जाएगा। क्षिप्रा को प्रदूषण मुक्त करना सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता होगी.
Ujjain Kumbh: यात्रियों की सुविधा का खास ख्याल
Ujjain Kumbh: सिंहस्थ में देश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु उज्जैन आते है. इस बार भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने-जाने की संभावना को देखते हुए सीएम यादव ने जावरा-उज्जैन, इंदौर-उज्जैन फोरलेन, उज्जैन रेलवे स्टेशन की क्षमता बढ़ाने और उज्जैन के आस-पास फ्लैग स्टेशन विकसित करने जैसे कामों को तत्काल शुरु करने के निर्देश दिए, साथ ही सीएम कहा कि शिप्रा को अविरल और निर्मल रखने के लिए सभी विभाग और एजेंसी तीन स्तर पर कार्य करेंगी। इंदौर-उज्जैन के बीच स्टॉप डेम मरम्मत व निर्माण, गंदे पानी के डायवर्सन की योजना का क्रियान्वयन किया जाएगा। इसके लिए आईआईटी से सुझाव और विकल्प भी प्राप्त किए जाएंगे।
Ujjain Kumbh:बैठक की बड़ी बातें
- मेला क्षेत्र में अलग-अलग कामों के लिए बनेंगे जोनल प्लान
- सीवेज ट्रीटमेंट प्लान 2027 से पहले पूरे होंगे
- क्षिप्रा के नए घाटों का किया जाएगा निर्माण
- हरिद्वार और प्रयागराज महाकुंभ का होगा अध्ययन
- प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग यूनिट समेत कई टेंडर 12 जून को खोले जाएंगे
- ट्रैफिक, सुरक्षा, सफाई, और आईटी से जुड़े कामों के टेंडर होगे
Ujjain Kumbh: सिंहस्थ कुंभ की अनोखी बातें
सिंहस्थ कुम्भ उज्जैन का महान धार्मिक पर्व है। बारह साल के बाद, जब सूर्य मेष राशि में हो और बृहस्पति सिंह राशि में हो, तब उज्जैन में सिंहस्थ कुम्भ होता है। आस्था और विश्वास के इस महापर्व का आयोजन मध्यप्रदेश के उज्जैन में हर 12 साल बाद होता है.अबकी बार सिंहस्थ 2028 में आयोजित होगा.
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Ujjain Kumbh: क्या है कुंभ मेला
कुंभ हर तीन साल में चार शहरों, हरिद्वार, इलाहाबाद, नासिक और उज्जैन में से एक में आयोजित किया जाता है। कुंभ मेला हिंदुओं की आस्था का एक तीर्थस्थल है, जिसमें हिंदू और दुनिया भर के लोग पवित्र नदी में स्नान करने के लिए एक स्थान पर एकत्रित होते हैं। प्राचीन काल से, चार मेलों को कुंभ मेले के रूप में व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है. हरिद्वार, इलाहाबाद, नासिक और उज्जैन सिंहस्थ। ये चार मेले समय-समय पर चार स्थानों में से एक पर बारी-बारी से आयोजित किए जाते हैं। मुख्य उत्सव स्थल हरिद्वार में गंगा नदी , इलाहाबाद में सरस्वती, नासिक में गोदावरी और उज्जैन में शिप्रा के तट पर स्थित है। माना जाता है कि इन नदियों में स्नान करने से लोगों के सभी पाप धुल जाते हैं।
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Ujjain Kumbh: कुंभ मेले की कथा
सनातन धर्म में कुंभ मेले का विशेष महत्व है, कुंभ मेला दो शब्द कुंभ और मेला निर्मित है। पौराणिक धर्मग्रंथों में बताया गया है कि कुंभ मेले की कहानी समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है। साथ ही यह भी मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश से 4 बूंदें 4 स्थानों पर गिर गई थीं। यह स्थान प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, और नासिक हैं। इन स्थानों पर ही कुंभ मेला आयोजित किया जाता है।