मवेशी ढोने वाली गाड़ी में नेताओं के कट आउट ले जाने पर 2 इंजीनियर और 1 इंस्पेक्टर पर गाज, सस्पेंड
raipur cattle vehicle: छत्तीसगढ़ के कोरबा में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जहां नगर निगम की मवेशी ढोने वाली गाड़ी (काऊ कैचर) में मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, महापौर और अन्य जनप्रतिनिधियों के कटआउट्स ले जाए जा रहे थे। यह घटना सामने आने के बाद निगम प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए दो उप अभियंताओं और एक स्वच्छता निरीक्षक को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
काऊ कैचर में नेताओं के कट आउट
जानकारी के अनुसार, राज्य स्थापना के रजत जयंती वर्ष के अवसर पर शहर में विभिन्न स्थानों पर नेताओं के कटआउट लगाए जाने थे। ये कटआउट घंटाघर स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर ओपन थिएटर मैदान में लगने थे। कार्यक्रम स्थल पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उप मुख्यमंत्री अरुण साव, उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन और महापौर संजूदेवी राजपूत के बड़े-बड़े कटआउट लगाए जाने थे।
नेताजी की गरिमा को ठेस, तीन अधिकारी सस्पेंड
निगम के केंद्रीय भंडारगृह से इन कटआउट्स को कार्यक्रम स्थल तक पहुंचाने की जिम्मेदारी संबंधित अधिकारियों की थी, लेकिन लापरवाही इतनी हुई कि इन्हें पशु ट्रॉली (काऊ कैचर) में लादकर भेज दिया गया। कटआउट्स के साथ जा रही इस गाड़ी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं, जिसके बाद लोगों ने नगर निगम पर जमकर चुटकी ली और जनप्रतिनिधियों की गरिमा को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया।
आयुक्त ने बताई गंभीर लापरवाही
मामले को नगर निगम आयुक्त आशुतोष पाण्डेय ने गंभीरता से लिया और इसे कर्तव्य के प्रति घोर लापरवाही बताया। उन्होंने अपर आयुक्त को निर्देश दिया कि संबंधित अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाए। इसके बाद उप अभियंता अश्वनी दास, अभय मिंज और स्वच्छता निरीक्षक सचीन्द्र थवाईत से जवाब मांगा गया, लेकिन तीनों का जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया। आयुक्त पाण्डेय ने कहा कि “जनप्रतिनिधियों की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला कोई भी कार्य क्षम्य नहीं है। इस प्रकार की लापरवाही न केवल प्रशासनिक अनुशासन के खिलाफ है, बल्कि शासन की छवि पर भी नकारात्मक असर डालती है।”
सभी कर्मचारियों को चेतावनी
नतीजतन, छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 का उल्लंघन मानते हुए तीनों अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। साथ ही, सभी कर्मचारियों को चेतावनी दी गई कि भविष्य में ऐसी कोई गलती बर्दाश्त नहीं की जाएगी।इस पूरे घटनाक्रम के बाद अब नगर निगम में अनुशासन और जवाबदेही को लेकर चर्चाएं तेज हैं। सोशल मीडिया पर भी इस कार्रवाई को लेकर जनता ने मिश्रित प्रतिक्रिया दी है—कुछ लोगों ने इसे सही बताया, तो कुछ ने इसे अति-प्रतिक्रिया करार दिया।
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