
मुस्लिम आरक्षण

कर्नाटक में मुस्लिम कॉन्ट्रैक्टर्स को आरक्षण के देने क्या मायने?
Karnataka Muslim Contractor Reservation: काँग्रेस और उनके गठबंधन वाली विभिन्न सरकारों में हिन्दू हितों को सीमित करके मुस्लिम तुष्टीकरण की मानों कोई स्पर्धा चल रही है। मुस्लिम तुष्टीकरण की दिशा में एक सरकार कोई घोषणा करती है तो दूसरी सरकार उसका अनुसरण करते हुये और नई सौगात दौड़कर नया इतिहास बना रही है।
देश के नौ प्रदेशों में चल रही स्पर्धा
इसे हिमाचल प्रदेश, तैलंगाना, झारखंड, कर्नाटक, केरल आदि सरकारों की घोषणाओं से समझा जा सकता हैं।मुस्लिम तुष्टीकरण की यह स्पर्धा देश के नौ प्रदेशों में चल रही है। इनमें काँग्रेस अथवा उनके गठबंधन दलों की सरकारें हैं। इनमें कर्नाटक, हिमांचल, तैलंगाना, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाड और झारखंड जैसी सरकारें हैं। ये सरकारें दोनों प्रकार से तुष्टीकरण कर रही हैं।
एक ओर मुस्लिम हितों का संवर्धन और दूसरी ओर हिन्दू हितों का शोषण। इसके लिये हिमाचल प्रदेश सरकार का नया निर्णय सामने आया है । हिमाचल प्रदेश सरकार ने अल्पसंख्यक कल्याण का बजट तो बढ़ाया लेकिन सरकार की दो योजनाओं का व्यय मंदिर ट्रस्ट के कंधे पर डाल दिया है। हिमाचल प्रदेश ही नहीं देशभर के अधिकांश मंदिरों ट्रस्ट के संचालन पर राज्य सरकारों का नियंत्रण होता है। यह हिमाचल प्रदेश में भी है। हिमाचल सरकार ने इसी का लाभ उठाया है। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री सुक्कू ने प्रदेश के सभी बड़े मंदिरों को पत्र लिखकर दो योजनाओं में आर्थिक सहायता मांगी है। इस पत्र के साथ ही मंदिर ट्रस्ट से जुड़े अधिकारियों ने सूची बनाकर इन मंदिरों से प्राप्त होने वाली कुल राशि का आकलन कर लिया है।
एक कदम आगे कर्नाटक सरकार

इससे कयी कदम आगे अब कर्नाटक सरकार ने अपने बजट में मुस्लिम समाज को सशक्त बनाने केलिये घोषणाओं की झड़ी लगा दी है। कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्दरमैया के पास वित्त विभाग भी है। उन्होने पिछले दिनों वर्ष 2025-26 केलिये अपनी सरकार का बजट प्रस्तुत किया। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने बजट में मुस्लिम तुष्टीकरण के लिते एक दो नहीं कुल तेरह योजनाओं की घोषणा की हैं। इसमें सबसे बड़ी घोषणा है सरकारी ठेकों में मुस्लिम ठेकेदारों को चार प्रतिशत आरक्षण देना। इस निर्णय के साथ ही अब कर्नाटक में शासकीय, अर्ध शासकीय निर्माण कार्य के ठेकों में चार प्रतिशत कार्य मुस्लिम ठेकेदारों को ही दिये जायेंगे। अब तक विभिन्न राज्य सरकारों ने सरकारी नौकरियों में तो मुसलमानों को आरक्षण का प्रावधान किया है। लेकिन ठेको॔ में आरक्षण देने की घोषणा करने वाला कर्नाटक पहला राज्य बन गया है।
इमामों पर मेहरबान सिद्दरमैया
सरकारी ठेकों में मुस्लिम आरक्षण की घोषणा के साथ कर्नाटक में इमामों को छै हजार रुपये मासिक भत्ता देने, मुस्लिम लड़कियों के लिए 15 नये महिला महाविद्यालय खोलने की घोषणा भी की है । ये नये महाविद्यालयों का निर्माण बक्फ की जमीन पर होगा। लेकिन इनके निर्माण कार्य पर पूरा पैसा सरकार लगायेगी। इनके संचालन में बक्फ बोर्ड की भूमिका प्रमुख होगी। तुष्टीकरण की अन्य घोषणाओं में अल्पसंख्यक समाज के सामूहिक विवाह आयोजित करने वाले अशासकीय संगठनों को प्रति जोड़े पचास हजार रुपये की राशि देने, 250 मौलाना आजाद मॉडल इंग्लिश मीडियम स्कूल में चरणबद्ध तरीके से ‘प्री-प्राइमरी’ से पूर्व विश्वविद्यालय कक्षाएं शुरू करने, उर्दू माध्यम की शिक्षा देने वाले सौ विद्यालयों को अनुदान के रूप में सौ करोड़ का प्रावधान किया गया है। इस योजना पर कुल चार सौ करोड़ का व्यय अनुमानित है। इसमें सौ करोड़ की राशि इस वर्ष केलिये है।
कॉलोनियों का भी होगा विकास Karnataka Muslim Contractor Reservation
कर्नाटक के विभिन्न नगरों में अल्पसंख्यक समाज केलिये अलग कॉलोनियों का विकास होगा। इस मद पर एक हजार करोड़ का प्रावधान किया गया है। वक्फ संपत्तियों और कब्रिस्तानों के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सरकार 150 करोड़ रुपये व्यय करेगी। मुस्लिम सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए 50 लाख रुपये का अनुदान दिया जायेगा। मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में नए आईटीआई कॉलेज की स्थापना की जायेगी ताकि मुस्लिम समाज के बच्चों का “स्किल डेवलपमेंट हो सके। इनमें मुस्लिम छात्रों के लिए 50 प्रतिशत शुल्क की छूट दी जायेगी। इसके अतिरिक्त उलाल नगर में मुस्लिम लड़कियों के लिए आवासीय महाविद्यालय की स्थापना की जायेगी। जो मुस्लिम छात्र विदेश जाकर पढ़ना चाहते हैं उनके लिए छात्रवृत्ति में वृद्धि की जायेगी। बेंगलुरु नगर के हज भवन का विस्तार किया जायेगा। इसके साथ मुस्लिम छात्राओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण देने की भी घोषणा की गई है।
बजट में मुस्लिम और ईसाई के लिए 4700 करोड़
कर्नाटक सरकार का कुल बजट 4.09 करोड़ का है। इसमें मुस्लिम और ईसाई समाज को लगभग 4700 करोड़ का प्रावधान किया गया है। एक सामान्य नागरिक की भाँति कर्नाटक के अल्पसंख्यक समाज को अन्य प्रावधानों के लाभ तो मिलेंगे ही। इनके साथ अल्पसंख्यक कल्याण के इन प्रावधानों का अतिरिक्त लाभ मिलेगा।
ये घोषणाएं नई नहीं है
कर्नाटक में काँग्रेस सरकार द्वारा मुस्लिम तुष्टीकरण की ये घोषणाएँ पहली नहीं हैं। कर्नाटक सरकार धर्म के आधार पर मुस्लिम समाज को चार प्रतिशत आरक्षण की घोषणा पहले की जा चुकी है। मुस्लिम समाज को यह चार प्रतिशत आरक्षण हिन्दुओं के ओबीसी समुदाय के आरक्षण कोटे से दिया जाना है। ओबीसी हिन्दू समाज का एक वर्ग समूह है। इस वर्ग केलिये आरक्षण कोटे की सीमा 32 प्रतिशत है।
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इस वर्ग में मुस्लिम समाज को शामिल करने का अर्थ है हिन्दू समाज के ओबीसी समूह के हितों में चार प्रतिशत की कटौती हो जायेगी। कर्नाटक में ओबीसी कोटे से मुसलमानों को यह आरक्षण काँग्रेस ने पहले भी लागू किया था। लेकिन बीच में भाजपा सत्ता में आई तो ओबीसी कोटे से मुसलमानों को आरक्षण दिये जाने इस निर्णय को बदल दिया था। लेकिन कर्नाटक में दोबारा काँग्रेस की सरकार आई तो यह निर्णय पुनः लागू हो गया। कर्नाटक सरकार द्वारा की गईं इन नई घोषणाओं उलेमाओं के उस तेरह सूत्रीय मांगपत्र की झलक है जो महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में जारी हुआ था। उसमें उर्दू भाषा के विकास, सरकारी ठेकों में प्राथमिकता, मुस्लिम काॅलोनी के विकास आदि की मांगे शामिल थीं। एक मांग में थोड़ा अंतर आया है। तब उलेमाओं ने सेना और पुलिस भर्ती में मुसलमान युवकों को प्राथमिकता देने की माँग की गई थी। कर्नाटक सरकार की घोषणा में यह विन्दु तो नहीं है।
Karnataka Muslim Contractor Reservation
लेकिन मुस्लिम लड़कियों को “आत्मरक्षा प्रशिक्षण” की घोषणा की गई है। इससे उनकी क्षमता में वृद्धि होगी जो पुलिस एवं सेना की भर्ती स्पर्धा में लाभ देगा। कर्नाटक राज्य के बजट की एक विशेषता और है। इस बजट में एक ओर अल्पसंख्यक कल्याण के लिये उदारता से नई नई घोषणाएँ कीं गई हैं वहीं दूसरी ओर सरकार के खजाने में मंदिरों से होने वाली आय में वृद्धि का आकलन किया गया है ।
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कर्नाटक के मंदिरों से होने वाली इस आय वृद्धि पर यद्यपि सरकार ने कुछ नहीं कहा लेकिन कर्नाटक के अर्थशास्त्रियों के आकलन के अनुसार इस वर्ष कर्नाटक सरकार को मंदिरों से होने वाली आय में चार प्रतिशत की वृद्धि अनुमानित है। मंदिरों में होने वाली आय का मुख्य स्त्रोत श्रद्धालुओं का दान और चढ़ावा होता है। जाग्रति के साथ मंदिरों में जाने वाले श्रृद्धालुओ की संख्या भी बढ़ रही है और दान का औसत भी। इसी के कारण यह वृद्धि अनुमानित है। अन्य राज्यों की भाँति कर्नाटक में भी सरकार अनेक मंदिर ट्रस्ट संचालन में सहभागिता है। यह आय इन्हीं मंदिरों से होती है। इससे स्पष्ट है कि सरकार मंदिरों से तो धन लेगी और मुस्लिम तुष्टीकरण पर व्यय करेगी।
लेखक
वरिष्ट पत्रकार-रमेश शर्मा जी