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गुजरात में मिले केस देश में हड़कंप, जानिए इसके लक्षण और इलाज
Chandipura virus : कुछ साल पहले पूरी दुनिया में आई कोरोना वायरस महामारी के बाद अब एक नए वायरस ने दस्तक दी है. इसको चांदीपुरा वायरस कहा जा रहा है. चांदीपुरा वायरस की खबर आने के बाद से पूरे देश में हड़कंप मचा हुआ है. ऐसे में देश की हेल्थ एजेंसियां अलर्ट हो गई हैं.
गुजरात राज्य के साबरकांठा और अरवल्ली जिलों में चांदीपुरा वायरस से हुए मामलों के कारण देश में हड़कंप मच गया है। इस वायरस की खबर आने के बाद स्थानीय आवासियों में चिंता बढ़ी है और स्वास्थ्य अधिकारियों ने अलर्ट जारी किया है। चांदीपुरा वायरस एक जीवाणु होता है, जिसके प्रकोप से इंसानों में बुखार, फ्लू के लक्षण, और गंभीर मामलों में एन्सेफलाइटिस जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
चांदीपुरा वायरस की पहली रिपोर्ट 1966 में महाराष्ट्र के नागपुर से आई थी, और इसका नाम उसी स्थान के आधार पर रखा गया था। इस वायरस के बच्चों में प्रकोप की घटना ने साबरकांठा और अरवल्ली जिलों में चार बच्चों की मौत का कारण बना, जिससे वहाँ के लोगों में भय और चिंता बढ़ी है। सभी मामलों के खून के सैंपल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी (National Institute of Virology – NIV) पुणे भेजे गए हैं ताकि इसे पुष्टि किया जा सके।
क्या हैं Chandipura virus के लक्षण
चांदीपुरा वायरस से प्रभावित होने पर व्यक्ति को अक्सर बुखार की शिकायत होती है, जो बाद में फ्लू जैसे लक्षण भी दिखा सकते हैं। इस वायरस से होने वाली एन्सेफलाइटिस से दिमाग में सूजन होती है, जो गंभीर हो सकता है।
इस समय, जब देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य की दिशा में नई चुनौतियों का सामना किया जा रहा है, चांदीपुरा वायरस की वजह से हो रही मौतों को लेकर जागरूकता बढ़ाना जरूरी है। स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने जनता को इस वायरस से बचाव के लिए सुरक्षा के उपायों का पालन करने की सलाह दी है, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण है हाइजीन और साफ-सुथरी रखरखाव।
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Chandipura virus क्या है?
1966 में पहली बार महाराष्ट्र के नागपुर में चांदीपुरा वायरस से जुड़ा केस रिपोर्ट किया गया था, जिससे इस वायरस का नाम चांदीपुरा वायरस पड़ा। इसके बाद, यह वायरस साल 2004 से 2006 और 2019 में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, और गुजरात में रिपोर्ट किया गया है। चांदीपुरा वायरस एक RNA वायरस है और इसे सबसे अधिक मादा फ्लेबोटोमाइन मक्खी से फैलता है। इसके फैलने के पीछे मच्छर में पाए जाने वाले एडीज़ जिम्मेदार होते हैं।
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चांदीपुरा वायरस कितना खतरनाक?
चांदीपुरा वायरस सबसे अधिक 15 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है। इस उम्र के बच्चों में इसकी मृत्यु दर सबसे ज्यादा देखी गई है। अभी तक इस वायरस के इलाज के लिए कोई भी एंटीवायरल दवा तैयार नहीं की गई है।