
बाबा महाकाल का अभिषेक

Hindu New Year At Mahakal Temple : नीम जल से बाबा का अभिषेक, शिखर पर फहराया केसरिया ध्वज
Hindu New Year At Mahakal Temple : विश्वप्रसिद्ध उज्जैन के महाकाल मंदिर में गुड़ी पड़वा के अवसर पर विशेष आयोजन किया गया। हिंदू नववर्ष की शुरुआत पर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन पुजारियों ने भगवान महाकाल का नीम मिश्रित जल से अभिषेक किया। मान्यताओं के अनुसार पृथ्वी के नाभि केंद्र पर स्थित काल के अधिपति भगवान महाकाल के आंगन से नवसंवत्सर की शुरुआत होती है। पंडित महेश पुजारी ने बताया कि गुड़ी पड़वा से हिंदू वर्ष का आरंभ होता है। इस अवसर पर नए पंचांग का पूजन किया गया।
नीम जल से बाबा का अभिषेक
मंदिर में विशेष पूजा के दौरान भगवान को श्रीखंड और पुरनपोली का भोग लगाया गया। चैत्र मास में ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत होती है। इस समय वात, कफ और पित्त की वृद्धि होती है। इन दोषों के निवारण के लिए नीम का विशेष महत्व है।आयुर्वेद में नीम-मिश्री के सेवन को अमृत के समान माना गया है। इसलिए इस दिन भगवान का नीम युक्त जल से अभिषेक किया जाता है। सनातन धर्म की परंपरा के अनुसार मंदिर के मुख्य शिखर पर नया केसरिया ध्वज भी फहराया गया।

शिखर पर बदला गया ध्वज
हिंदू नववर्ष गुड़ी पड़वा पर श्री महाकालेश्वर मंदिर के शिखर पर ध्वज बदलने की परंपरा का पालन प्रतिवर्ष किया जाता है। लेकिन इस बार मंदिर के शिखर पर ब्रह्म ध्वज को फहराया जाएगा, जो मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की ओर से प्रदान किया गया है। सम्राट विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने इस आयोजन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विक्रम संवत ज्ञान, संस्कृति, विज्ञान और अनुसंधान का महापर्व है। इस दिन ब्रह्म ध्वज का फहराया जाना एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कड़ी को जोड़ता है। उन्होंने बताया कि इस ध्वज को पं. सूर्यनारायण व्यास परिवार से प्रेरणा लेकर तैयार किया गया, जिन्होंने 65 वर्षों तक इस ध्वज को सुरक्षित पूजा स्थान पर रखा था।
प्रदेश के प्रमुख मंदिरों और पर भी लहराएगा ध्वज
पिछले दिनों भोपाल में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव व मंत्रिपरिषद ने ब्रह्म ध्वज व विक्रम संवत पुस्तिका का लोकार्पण किया है। इसके बाद से यह ध्वज श्री महाकालेश्वर मंदिर के शिखर पर स्थापित करने की योजना बनाई गई थी। साथ ही सम्राट विक्रमादित्य शोधपीठ ने इस ध्वज को प्रदेश के प्रमुख मंदिरों और शासकीय व अशासकीय संस्थानों में भी लगाने की पहल की है। श्री महाकालेश्वर मंदिर के साथ-साथ इस ध्वज को प्रदेशभर के प्रमुख स्थानों पर फहराया जाएगा।
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