इस दिन नहीं होती शादी 6 दिसंबर को मनाई जाएगी
कल विवाह पंचमी का शुभ मुहूर्त है। मान्यता है कि राजा जनक के दरबार में स्वयंवर सभा में भगवान शिव का धनुष तोड़ने के बाद विवाह पंचमी की शुभ तिथि पर देवी सीता ने श्रीराम को अपना जीवन साथी चुना था। इसलिए, इस तिथि का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। आइए जानते हैं विवाह पंचमी के महत्व और मुहूर्त के बारे में।
विवाह पंचमी कब है? इस बार शुभ तिथि 5 दिसंबर को दोपहर 12.49 बजे से 6 दिसंबर की दोपहर 12.07 बजे तक रहेगी। उड़िया तिथि के कारण विवाह पंचमी 6 दिसंबर को मनाई जाएगी। जानकारों के अनुसार भगवान श्रीराम चेतना के प्रतीक हैं और माता सीता प्रकृति की शक्ति की प्रतीक हैं। इसलिए चेतना और प्रकृति के मिलन के दिन विवाह पंचमी की तिथि को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। खास बात यह है कि इस साल विवाह पंचमी पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं, जो भक्तों के लिए लाभकारी साबित हो सकते हैं।
विवाह पंचमी पर विशेष योग इस बार विवाह पंचमी को ध्रुव योग बन रहा है। इसके अलावा शिववास योग रवि योग और सर्वार्थसिद्धि योग के साथ भी शुभ संयोग बन रहा है। इन्हीं अत्यंत शुभ संयोगों के कारण इस बार विवाह पंचमी पर भगवान श्रीराम और माता जानकी की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी। दाम्पत्य जीवन में भी मधुरता आएगी।
विवाह पंचमी के लाभ विवाह पंचमी के दिन भगवान राम और माता सीता की पूजा करने से विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। इस दिन राम-जानकी की पूजा करने से एक अच्छा और उपयुक्त जीवन साथी मिलता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस दिन श्रीराम और माता सीता का विवाह करने से विवाहितों के दांपत्य जीवन की परेशानियां भी दूर होती हैं।
हम इस दिन शादी क्यों नहीं करते? विवाह पंचमी के दिन कोई विवाह नहीं होता है। मान्यता है कि शादी के बाद मां जानकी को काफी कष्ट झेलने पड़े इसलिए लोग इस दिन अपनी बेटियों की शादी नहीं करते। हालांकि यह भी मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीराम और माता सीता की पूजा करने से अच्छे और सुखी वैवाहिक जीवन का वरदान मिलता है। एक और मान्यता है कि इसी दिन महान कवि तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना पूरी की थी।
ग्रह दोषों से मुक्ति
इस दिन लाल कलम से पुस्तक पर श्रीराम का 108 बार नाम लिखें या अनार की कलम से अष्टगंध की स्याही बनाकर खाने के कागज पर लिखें, ताकि अशुभ ग्रहों का दर्द आसानी से दूर हो सके। राम का नाम लेने से शनि, राहु और केतु का प्रभाव दूर होता है और दर्द से भी राहत मिलती है।