
अब बाहरी लोग राज्य में कृषि भूमि नहीं खरीद सकते
Uttarakhand New Land Law उत्तराखंड में लगातार बढ़ रही जमीन की मांग के बीच पुष्कर धामी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए नए भूमि कानून को मंजूरी दे दी है। संशोधित मसौदा विधानसभा सत्र में पेश किया जाएगा, जिसके बाद राज्य के बाहर के लोग देवभूमि में खेती और बागवानी के लिए जमीन नहीं खरीद पाएंगे।
पिछले एक दशक में राज्य में कृषि भूमि का उपयोग कृषि के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए किया जा रहा था, जिसके बाद इस तरह के कानून की मांग उठी।
Uttarakhand New Land Law नया कानून क्या बदलाव लाएगा?
- 2018 में, रावत सरकार द्वारा बनाए गए भूमि कानून को निरस्त कर दिया गया था।
- प्रदेश के जिन 11 जिलों में बाहरी लोग खेती और बागवानी के लिए जमीन नहीं ले सकेंगे, उनमें हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर शामिल नहीं हैं।
- पहाड़ी इलाकों में जमीन पर नए स्तर की बात होगी।
- जिलाधिकारी जमीन खरीदने पर मुहर नहीं लगा सकते।
- जमीन की खरीद-बिक्री के लिए ऑनलाइन पोर्टल तैयार किया जाएगा ताकि डाटा व्यवस्थित रहे।
- पोर्टल यह भी पता लगाएगा कि कहीं कोई गड़बड़ी तो नहीं है।
- बाहरी लोगों को शपथ पत्र देकर जमीन खरीदने के उद्देश्य का खुलासा करना होगा।
- अगर कोई जमीन नियमों को तोड़कर खरीद-बेची जाती है तो सरकार उसका कब्जा ले सकती है।
Uttarakhand New Land Law कृषि भूमि में कमी
यहां खेती करना इतना आसान नहीं है क्योंकि यह एक पहाड़ी क्षेत्र है। केवल कुछ ही क्षेत्र हैं जहां फसलों को उगाया जा सकता है, वह भी सीधी तकनीक के माध्यम से। ऐसे में उपजाऊ जमीन पर होटल निर्माण के कारण प्रदेश में फसलों की कमी होने लगी है। जब राज्य का गठन हुआ था, तब यहां लगभग 7.70 लाख हेक्टेयर भूमि खेती योग्य थी और दो दशकों में यह घटकर 5.68 लाख हेक्टेयर रह गई है। कई घोटाले भी हुए हैं। मसलन, टिहरी में भू-माफिया ने किसानों को दी गई जमीन पर अवैध रूप से होटल और रिसॉर्ट बना रखे हैं। यह धंधा जंगलों में भी शुरू हो चुका है।
अलग राज्य बनने के बाद स्थानीय लोगों का विरोध जमीन पर दिखाई देने लगा। बाहरी निवेशक स्थानीय लोगों की जमीन को कम कीमत पर या गलत तरीके से हड़प लेते थे। खेती योग्य भूमि पर वाणिज्यिक परियोजनाएं शुरू हुईं। स्थानीय लोगों ने खेती छीन ली और सस्ते मजदूर वर्ग के लिए बाहर से अपने ही लोगों को लाकर काम देने लगे। इससे स्थानीय लोगों में आक्रोश फैल गया।
जनसंख्या में चौंकाने वाली वृद्धि
Uttarakhand New Land Law उत्तराखंड के लोगों को डर है कि अगर यही स्थिति रही तो उनके ही राज्य में संख्या कम हो जाएगी। दरअसल, पिछले कुछ सालों में बाहरी राज्यों से आने वाली आबादी में चौंकाने वाला इजाफा हुआ है।
सभी पहाड़ी राज्यों में यह कानून है
उत्तराखंड अकेला ऐसा राज्य नहीं है जहां कृषि और बागवानी भूमि पर सख्त कानून बनाए जा रहे हैं।
अधिकांश पहाड़ी राज्यों में पहले से ही यह नियम लागू है। उदाहरण के लिए,
हिमाचल प्रदेश में,
केवल स्थानीय और स्थायी निवासी ही कृषि भूमि खरीद सकते हैं।
बाहरी लोगों को इसके लिए विशेष अनुमति लेनी पड़ती है, जो बहुत मुश्किल है।
इसी तरह सिक्किम, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश भी ऐसे राज्य हैं।
जहां बाहरी राज्य जमीन नहीं खरीद सकते।
ताकि वहां के मूल निवासियों के अधिकारों की रक्षा हो सके और प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा न हो।