UK NEWS: उत्तराखंड से एक चौकाने वाला मामला सामने आया है. पिता की वसीयत झुठलाने के लिए बेटे ने अपने बेटे के साथ मिलकर उन्हें जीवनकाल में ही मृत दर्शा दिया. इसके लिए 25 साल बाद दाह संस्कार प्रमाणपत्र और मृत्यु प्रमाणपत्र बनवा लिया. सौतेले भाइयों ने शिकायत की तो नगर निगम ने भी जांच में मृत्यु प्रमाणपत्र को झूठा पाया. अक्तूबर 2024 में आई नगर निगम की रिपोर्ट के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई. अब एसएसपी से शिकायत हुई तो कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया है.

वसीयत सज्जन और उनके तीन भाइयों के नाम की
UK NEWS: शहर कोतवाल चंद्रभान सिंह अधिकारी ने बताया कि. मियांवाला के रहने वाले सज्जन सिंह ने शिकायत की है. सज्जन सिंह के तीन भाई सुंदर लाल, इंद्रलाल और राधेश्याम हैं. उनके पिता रामसहाय का तीन दिसंबर 1988 को देहांत हो गया था. उनका अंतिम संस्कार अगले दिन हरिद्वार श्मशान घाट पर हिंदू रीति-रिवाज के साथ किया गया था. मृत्यु से पहले सात सितंबर 1988 को उन्होंने पूरे होशोहवाश में एक वसीयत की थी। इस वसीयत को सब रजिस्ट्रार देहरादून के यहां रजिस्टर्ड भी कराया गया। यह वसीयत सज्जन सिंह और उनके तीन भाइयों के नाम की गई थी। उनका एक सौतेला भाई जगनलाल भी है, जो कि उनके पिता की दूसरी शादी से है।
UK NEWS: स्वास्थ्य अधिकारी ने फर्जी पाया मृत्यु प्रमाणपत्र
वह पिता की मृत्यु के 25 साल पहले से चकतुनवाला में रह रहा था। आरोप है कि जगनलाल ने अपने भाई मनमोहन के साथ मिलकर लक्खीबाग श्मशान घाट से पिता के अंतिम संस्कार की एक रसीद बनवाई थी। यह रसीद 19 जून 1988 की थी। इसके बाद 2013 में चकतुनवाला ग्राम पंचायत से उनका मृत्यु प्रमाणपत्र बनवा लिया। ताकि, यह सिद्ध किया जा सके कि पिता रामसहाय की वसीयत झूठी है. पिछले साल नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अविनाश खन्ना ने जांच में यह मृत्यु प्रमाणपत्र फर्जी पाया। शहर कोतवाल ने बताया कि मामले में जगमोहन और उसके बेटे के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।