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कलश यात्रा के बाद रामघाट पर हुआ पूजन
Ujjain : केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां राजमाता माधवी राजे सिंधिया की अस्थियां उज्जैन में शिप्रा में विसर्जित की गईं। ग्वालियर से लाए गए अस्थि कलश को दर्शन के लिए सख्याराजे धर्मशाला पर रखा गया। ग्वालियर से राजमाता माधवी राजे सिंधिया के अस्थि कलश को शिंदे मंडली के सदस्य पांडुरंगा राव और महल के अधिकारी संग्राम सिंह उज्जैन लेकर पहुंचे थे। एक घंटे की श्रद्धांजलि सभा के बाद रथ के माध्यम से यह कलश यात्रा निकाली गई.यात्रा में सिंधिया राजघराने से जुड़े लोगों ने राजमाता अमर रहे जैसे नारे भी लगाए । यह अस्थि कलश यात्रा देवासगेट, संख्याराजे धर्मशाला से प्रारंभ होकर मालीपूरा, दौलतगंज, फव्वारा चौक, नईसड़क, कंठाल, गोपाल मंदिर, ढाबा रोड, शगुन गार्डन होते हुए रामघाट पर पहुंची। अनेक संगठनों ने श्रद्धा से इस यात्रा पर फूल बरसाए और राज माता की आत्म शांति के लिए प्रार्थना की।
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Ujjain: मोक्षदायिनी शिप्रा में अस्थियों का विसर्जन
Ujjain : मां शिप्रा को मोक्षदायनी कहा जाता है। इसीलिए राजमाता माधवी राजे सिंधिया की अस्थियों का विसर्जन करने के लिए उज्जैन लाया गया, जहां रामघाट पर विशेष मुहूर्त में पूजन अर्चन के बाद इन अस्थियों का विसर्जन किया गया।
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Ujjain: 15 मई को राजमाता हुई थी कैलाशवासी
बता दें कि 15 मई को राजमाता माधवी राजे सिंधिया का दिल्ली के एम्स में निधन हो गया था। 16 मई को ग्वालियर में छत्री परिसर में उनका अंतिम संस्कार किया गया था।
ग्वालियर से राजमाता माधवी राजे का दूसरा कलश गुरुवार को शिंदे मंडली के सदस्य पांडु रंगा राव और महल के अधिकारी संग्राम सिंह कदम उज्जैन लेकर आए। यह माधवी राजे की अस्थियों का तीसरा कलश होगा।सिंधिया राजघराने से जुड़े डॉ. विजय त्रिवेदी ने बताया कि यात्रा में सिंधिया राजघराने के लोग शामिल हो सकते हैं।
बताया जाता है कि माधवराव सिंधिया से शादी के बाद महारानी के रूप में माधवी राजे सिंधिया जब पहली बार ग्वालियर पहुंचीं, तो यहां उनका भव्य स्वागत हुआ था। तब दिल्ली से स्पेशल ट्रेन से वर-वधु ग्वालियर आए थे। उस वक्त लोगों ने रेलवे स्टेशन से लेकर जयविलास पैलेस तक पूरे रास्ते में गुलाब के फूलों की पंखुड़ियां बिछाकर नई महारानी का स्वागत किया था