Bhojshala: धार की भोजशाला मंदिर है या कमाल मस्जिद? इस सवाल का जवाब लेकर ASI की वैज्ञानिक सर्वे रिपोर्ट आ गई है। आज ASI ने इंदौर हाई कोर्ट में 2000 से ज्यादा पन्नों की सर्वे रिपोर्ट पेश कर दी है,लेकिन रिपोर्ट को मीडिया में लीक नहीं किया जाएगा ये निर्देश हाईकोर्ट ने दिए है.
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1700 से ज्यादा प्रमाण
रिपोर्ट में 98 दिन चले सर्वे और खुदाई में 1700 से ज्यादा प्रमाण/अवशेष शामिल किए गए हैं। हिंदू पक्ष के याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने दावा किया है कि जो सर्वे हमारे सामने हुआ था, उस आधार पर हम कह रहे हैं कि यह इमारत राजा भोज के काल की ही साबित होगी जिसे सन् 1034 में बनाया गया था। यह परमारकालीन इमारत है, यह तथ्यों से भी प्रमाणित होता है। एएसआई को इस सर्वे में कई प्राचीन मूर्तियां मिली हैं जो परमारकालीन हो सकती हैं।
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Bhojshala: मोहनजोदड़ो से पहले के अवशेष
सर्वे में मिले अवशेषों से पता चलता है कि ये परमार कालीन यानी 9वीं से 11वीं शताब्दी के बीच का निर्माण है। इस बीच, एक गर्भगृह के पास एक 27 फीट लंबी दीवार भी मिली है, जो पत्थर की जगह ईंटों की बनी है। पुरातत्वविदों का मानना है कि ईंटों से निर्माण मोहनजोदड़ो सभ्यता के समय होता था.
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Bhojshala: यह तथ्य सामने आए
गर्भगृह का पिछला हिस्सा : यहां 27 फीट तक खुदाई में दीवार का ढांचा मिला है।
सीढ़ियों के नीचे का बंद कमरा : यहां से वाग्देवी, मां सरस्वती, हनुमानजी, गणेशजी समेत अन्य देवी प्रतिमा, शंख, चक्र सहित 79 अवशेष मिले हैं।
उत्तर-पूर्वी कोना व दरगाह का पश्चिमी हिस्सा : यहां से श्रीकृष्ण, वासुकी नाग और शिवजी की प्रतिमा मिली है।
उत्तर-दक्षिणी कोना : स्तंभ, तलवार, दीवारों के 150 नक्काशी वाले अवशेष मिले हैं।
यज्ञशाला के पास : सनातनी आकृतियां वाले पत्थर मिले हैं।
दरगाह : अंडरग्राउंड अक्कल कुइया चिह्नित हुई।
स्तंभों पर : केमिकल ट्रीटमेंट के बाद सीता-राम, ओम नम: शिवाय की आकृतियां चिह्नित हुई हैं।