
शिक्षा के प्रति जुनून ने दी सफलता
sumalata shiksha safalta kahani: नलगोंडा जिले के निदामनूर मंडल के शाकापुरम की सुमालता ने अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया है। किसान मल्लैया और गृहिणी वेंकटम्मा के घर जन्मी सुमालता ने एक ही समय में तीन सरकारी नौकरियाँ हासिल की और अंततः शिक्षा को अपना करियर चुना।
सुमालता का सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। तीन बहनों और एक छोटे भाई के साथ एक साधारण किसान परिवार में पली-बढ़ी सुमालता ने बचपन से ही शिक्षा के प्रति अपनी रुचि और जुनून को पहचान लिया था। सरकारी स्कूल में कक्षा 5 तक पढ़ाई करने के बाद उन्होंने गुरुकुल स्कूल, नकरेकल से इंटरमीडिएट की पढ़ाई की और फिर एमजी कॉलेज, नलगोंडा से बी.कॉम, भोजी रेड्डी महिला इंजीनियरिंग कॉलेज, सैदाबाद से एमबीए, और अंत में उस्मानिया विश्वविद्यालय से एम.कॉम किया।
शिक्षा के प्रति संकल्प और संघर्ष
सुमालता ने सरकारी नौकरी पाने के लिए काफी मेहनत की। हैदराबाद आकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के दौरान उन्हें कई बार निराशा का सामना भी करना पड़ा। ग्रुप-2 साक्षात्कार, एसपीडीसीएल जेएओ परीक्षा में असफलता और तकनीकी कारणों से गुरुकुल भर्ती में अयोग्य ठहराए जाने के बावजूद सुमालता ने हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य को पाने के लिए संघर्ष करती रहीं।
sumalata shiksha safalta kahani: सरकारी नौकरियों में चयन
सुमालता की कठिन मेहनत और आत्मविश्वास ने अंततः रंग लाया, और उन्हें निम्नलिखित पदों के लिए चुना गया:
- सहायक सांख्यिकी अधिकारी (एएसओ) – स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण निदेशालय, कोटि
- डिग्री लेक्चरर – समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत गुरुकुल (संगारेड्डी बुधेरा)
- जूनियर अकाउंट्स ऑफिसर (जेएओ) – देवरकोंडा नगर पालिका
- जूनियर लेक्चरर (जेएल) – विकाराबाद के सरकारी जूनियर कॉलेज (वाणिज्य)
शिक्षा को करियर बनाने का सपना
सुमालता ने कहा कि उन्हें हमेशा से यह विश्वास था कि शिक्षा ही असली ताकत है। “मेरे पास कई अवसर थे, लेकिन मैंने हमेशा शिक्षा को प्राथमिकता दी। मैंने कई बार असफलताओं का सामना किया, लेकिन मैंने कभी हार नहीं मानी। आज मुझे गर्व है कि मैं तीन नौकरियाँ हासिल करने में सफल रही और आखिरकार मैंने अपनी पसंदीदा नौकरी चुन ली।”
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सुमालता का संघर्ष और उनकी सफलता यह साबित करती है कि अगर संकल्प और मेहनत मजबूत हो, तो कोई भी सपना असंभव नहीं होता। उन्होंने न केवल अपने परिवार की स्थिति को बदलने की दिशा में कदम बढ़ाया, बल्कि समाज को यह भी दिखा दिया कि एक साधारण घर से भी बड़े लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं। उनकी यात्रा एक प्रेरणा है उन सभी युवाओं के लिए जो अपनी मेहनत और जुनून से किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं।