
अनुकंपा नियुक्ति के नाम पर किया था फर्जीवाड़ा
Sourabh Sharma Case:परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा केस में राेज काली कमाई के नये खुलासे हाे रहै हैं,आपकाे बता दें की इस केस में नया खुलासा हुआ है,सौरभ शर्मा ने पिता की जगह पर अनुकंपा नियुक्ति के प्रारूप आवेदन में अपने बड़े भाई सचिन शर्मा की जानकारी ही नहीं दी थी,इस तरह से ये जानकारी छुपाकर अनुकंपा नियुक्ति के नाम पर पहले ही दिन से फर्जीवाड़ा किया जा रहा था,आपकाे बता दें की सौरभ शर्मा का अनुकंपा नियुक्ति आवेदन सामने आया है,इसमें मां और खुद की जानकारी ही परिवार के रूप में लिखी है। इसी आवेदन पर तत्कालीन सीएमएचओ के हस्ताक्षर व सील हैं और अंत में सौरभ शर्मा के भी हस्ताक्षर हैं।
भाई सचिन शर्मा की छिपाई गई थी जानकारी

Sourabh Sharma Case:सौरभ शर्मा ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए दिसंबर 2015 में अपने हाथों से आवेदन पत्र निर्धारित प्रारूप में भरकर हस्ताक्षर किए थे। इसमें अनुकंपा नियुक्ति के फार्म की प्रति संलग्न है। इसमें उसने अपने पिता का पूरा नाम राकेश कुमार शर्मा लिखा है।पिताजी की मृत्यु की तिथि नवंबर 2015 लिखी है। शैक्षणिक अर्हता के विवरण में बीएससी (बायो), पीजीडीसीए लिखा है। परिवार के सदस्यों में मां उर्मा शर्मा व खुद की जानकारी लिखी है।आपकाे बता दें की जिस बड़े भाई सचिन शर्मा की जानकारी छिपाई गई थी, वह सितंबर 2013 को शासकीय सेवा में आ चुका था और रायपुर वित्त विभाग के कार्यालय में सहायक संचालक के पद पर आडिट सेल में कार्यरत है,अगर यह महत्वपूर्ण जानकारी सौरभ शर्मा अनुकंपा नियुक्ति के फार्म में भर देता तो उसकी अनुकंपा नियुक्ति नहीं हो पाती,आपकाे बता दें की इस मामले में शिकायतकर्ता संकेत साहू ने शिकायत कर कार्रवाई की मांग की है।
करीबी साथियों की जा रही है जांच पड़ताल

Sourabh Sharma Case:आपकाे बता दें की सौरभ के सभी करीबी साथियों की जांच पड़ताल भी की जा रही है। सौरभ शर्मा के चार साथी आरक्षक हैं, जिनके जरिए वह अपना नेटवर्क ऑपरेट करता था। सौरभ शर्मा के विभाग को छोड़ने के बाद भी उसके करीबी काली कमाई के काम को लगातार संभाल रहे थे। इन चारों में एक गौरव पाराशर नाम का आरक्षक भी है, जो मूलत: शिवपुरी का रहने वाला है।
आपकाे बता दें की हाल ही में जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों की टीम गोपनीय रूप से शिवपुरी जिले के पिछोर में पहुंची थी। यहां पास के सिरसौद गांव में रुकी और संपत्तियों की पड़ताल की है,खबर की माने ताे कुल दो दिन अधिकारियों की टीम रुकी और टीम को पड़ताल में गौरव के पास 25 एकड़ जमीन पता चली है। आरक्षक धनंजय चौबे, हेमंत जाटव, नरेंद्र सिंह भदौरिया और गौरव पाराशर की पूरे परिवहन विभाग में रौब था, जैसा ये लाेग चाहते थे, वैसा हो जाता था।

तत्कालीन सीएमएचओ की भूमिका पर भी सवाल
Sourabh Sharma Case:आपकाे बता दें की अनुकंपा नियुक्ति के लिए भरे गए निर्धारित प्रारूप फार्म में घोषणा पत्र भी भरा गया था। इसमें लिखा है कि कोई भी जानकारी यदि असत्य पाई जाती है तो अनुकंपा नियुक्ति रद की जा सकेगी,अब इस मामले में तत्कालीन सीएमएचओ की भूमिका पर भी सवाल खड़ा हाेता है।