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सोमवती अमावस्या साल में दो बार आती है, जानिए पूरा पूजा अनुष्ठान
सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। हिंदू धर्म में अमावस्या के दिन का बहुत महत्व माना जाता है और यह दिन पितरों को भी समर्पित होता है। इस बार सोमवती अमावस्या 30 दिसंबर, सोमवार को मनाई जाएगी। सोमवती अमावस्या साल में दो बार आती है।
मान्यता है कि अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान कर दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है और कालसर्प दोष और पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है। सोमवती अमावस्या के दिन देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है और इस दिन पीपल की पूजा की जाती है।
सोमवती अमावस्या स्नान करने का शुभ मुहूर्त
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, सोमवती अमावस्या 30 दिसंबर को सुबह 4:01 बजे शुरू होगी और 31 दिसंबर को सुबह 3:56 बजे समाप्त होगी। इस दिन स्नान और दान का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 24 मिनट से 6 बजकर 19 मिनट तक रहेगा।
सोमवती अमावस्या शुभ योग
यह साल की आखिरी अमावस्या है इसलिए सोमवती की अमावस्या को बेहद खास माना जाता है। इस बार सोमवती अमावस्या पर वृद्धि योग, ध्रुव योग, शिववास योग, नक्षत्र योग का संयोग है।
सोमवती अमावस्या पूजन समारोह
सोमवती अमावस्या के दिन पूजा करने के लिए सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में जागें और सभी काम पूरे होने के बाद स्नान करें। इस दिन गंगा स्नान का अधिक महत्व होता है इसलिए गंगा स्नान करना चाहिए और फिर सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती को पूजा करने से विशेष आशीर्वाद मिलता है और पूजा करने के बाद अपनी क्षमता के अनुसार दान करते हैं।
सोमवती अमावस्या व्रत कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक गरीब ब्राह्मण एक राज्य में रहता था। पैसों के अभाव में उनकी बेटी की शादी नहीं हो सकी। वह अपनी गरीबी से परेशान था। एक दिन जब एक ब्राह्मण दम्पत्ति ने साधु से उपाय पूछा तो साधु ने ध्यान करते हुए कहा कि पास के एक गाँव में एक धोबी है, जो अपने बेटे और बहू के साथ रहता है। जो बहुत ही कर्मकांड और सुसंस्कृत और पतिव्रतापूर्ण है। अगर आपकी बेटी इनकी सेवा करती है और महिला सिर पर सिंदूर लगाती है तो आपकी बेटी का विवाह योग बन जाएगा और उसका विद्यायोग खत्म हो सकता है।
यह सुनकर ब्राह्मण ने अपनी पुत्री को धोबन की सेवा करने को कहा। अगले दिन बेटी सुबह उठकर सोना धोबन के घर जाती और साफ-सफाई करके घर आ जाती। एक दिन सोना धोबन अपनी बहू से पूछती है कि तुम सुबह उठकर सारे काम करती हो और पता भी नहीं चलता। बहू ने कहा, ‘मुझे लगा कि तुम सुबह जल्दी उठकर सारे काम खुद करते हो और मैं देर से उठती हूं। इस बात से हैरान दोनों सास ने सोचा कि कल हम नजर रखेंगे कि कौन है, कौन सुबह जल्दी आता है और सारे काम करके चला जाता है। अगली सुबह धोबन ने देखा कि एक लड़की चुपचाप घर का सारा काम कर रही है। ऐसा कई दिनों तक चलता रहा। एक दिन धोबी ने लड़की से इसका कारण पूछा।
बेटी ने धोबन को साधु की सारी बात बता दी। इतना सुनते ही धोबी ने उसे मनचाहा सिंदूर दे दिया और उसी समय धोबी के पति की मृत्यु हो गई। इससे दुखी होकर युवती घर से निकलकर एक पीपल के पेड़ के पास पहुंची और ईंटों के 108 टुकड़े लेकर 108 बार परिक्रमा की और एक के बाद एक फेंकने लगी। लड़की की इस हरकत से धोबन के पति की जिंदगी में जान आ गई। कन्या ने पीपल के पेड़ की परिक्रमा कर शुभ फल की प्राप्ति की।