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29 जून से शुक्र के उदय होते ही फिर बजेंगे ढोल नगाड़े
Shukra uday : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए शुक्र का उदय बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। धन, प्रसिद्धि, प्रेम, सौंदर्य और सुख का ग्रह शुक्र 29 अप्रैल को अस्त हो गए। अब शुक्र ग्रह 29 जून की शाम को पश्चिम दिशा में उदय होंगे।
जेठ मास की सप्तमी तिथि को शुक्र बुध की मिथुन राशि में उदय हो रहे हैं। देवशयनी की एकादशी से चौमासा शुरू होने के कारण विवाह के लिए शुभ मुहूर्त 9 जुलाई से शुरू होगा और 17 जुलाई को समाप्त होगा। इसके बाद नवंबर के दूसरे सप्ताह से शादी बंधन में बंधना संभव होगा।
ज्योतिषाचार्य पं. हितेंद्र कुमार शर्मा के अनुसार ग्रीष्म ऋतु में बृहस्पति और शुक्र के अस्त होने के कारण विवाह समारोह के लिए शुभ मुहूर्त नहीं बन पा रहा था। सनातन परंपरा में विवाह के समय बृहस्पति और शुक्र की आस्थ को अशुभ माना जाता है। ऐसे में विवाह के समय दोनों ग्रहों का उदय होना जरूरी है।
शुक्र के उदय (Shukra uday) के 10 दिन बाद ही जुलाई में शादी की शहनाई बजेगी। इसके बाद विवाह, नामकरण, जनोई, मुंडन, गृहप्रवेश, भूमि पूजन, गृह-वाहन, आभूषणों की खरीद जैसे सभी शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे। शुक्र के उदय होने से विवाह आदि मंगल कार्यों की प्रतीक्षा कर रहे लोगों को भी शुभ मुहूर्त मिलेगा।
विवाह में ग्रहों की शुभता जरूरी
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार विवाह में शुभ मुहूर्त को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। शादी को सबसे पवित्र रिश्ता कहा जाता है। इसलिए शुभ मुहूर्त होना जरूरी है। वहीं विवाह के शुभ मुहूर्त के लिए नौ ग्रहों में गुरु, शुक्र और सूर्य का उदय होना जरूरी माना जाता है।
इस सूर्य और बृहस्पति की युति हो तो अधिक सफल और शुभ हो जाती है। इन तारीखों पर शादी करना बहुत शुभ माना जाता है। शुक्र और बृहस्पति के अस्त होने पर विवाह आदि नहीं होते। इस बार शादी समारोह जुलाई में कुल आठ तारीखों पर हो सकता है। ये तारीखें हैं 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16 जुलाई को शुभ तिथियां।
अगले चार महीने तक शादियां नहीं हो पाएंगी क्योंकि 17 जुलाई से चातुर्मास शुरू हो रहा है। इसके बाद 12 नवंबर को देवोत्थानी एकादशी के बाद विवाह के लिए शुभ मुहूर्त रहेगा। बृहस्पति और शुक्र ग्रहों की उदय होते ही विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, यज्ञोपवीत आदि शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे।
देवशयनी एकादशी 17 जुलाई को है, इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं, जो चातुर्मास की शुरुआत का प्रतीक है। चातुर्मास में होने वाले शुभ और मांगलिक आयोजन फिर से चार महीने के लिए टाल दिए जाएंगे। लेकिन हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान में भी चातुर्मास के दौरान विवाह आदि संकल्प किए जाते हैं। इसलिए विवाह के शुभ मुहूर्त के लिए किसी ज्योतिषी की सलाह लें। इसके बाद 12 नवंबर को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की देवोत्थान एकादशी से विवाह का शुभ मुहूर्त फिर से शुरू होगा और 14 दिसंबर तक जारी रहेगा। नवंबर में शादी के लिए 7 और दिसंबर में 8 शुभ मुहूर्त रहेंगे।
विवाह तिथियां 2024 –
जुलाई – 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16
नवंबर – 12, 17, 18, 23, 25, 27, 28
दिसंबर – 2, 3, 4, 6, 7, 10, 11, 14
बृहस्पति और शुक्र उदय
जब कोई भी ग्रह सूर्य के करीब आता है तो उसकी शक्तियां कम हो जाती हैं और उसकी चमक कम हो जाती है। ग्रह की इस स्थिति को अस्त कहा जाता है। जब कोई ग्रह सूर्य से दूर चला जाता है तो उसकी शक्तियां वापस आ जाती हैं और वह आकाश में दिखाई देता है, ग्रह की इस अवस्था को उदय कहा जाता है। बृहस्पति का उदय 3 जून को पूर्व दिशा में होगा और शुक्र 29 जून को पश्चिम में उदय होगा।
सुखी वैवाहिक जीवन के लिए बृहस्पति और शुक्र जिम्मेदार होते हैं गुरु कन्या के लिए सुख का कारक होता है और शुक्र पति के सुख का कारक होता है इसलिए विवाह में बृहस्पति और शुक्र का उदय आवश्यक है।
ज्योतिष में दांपत्य जीवन के लिए बृहस्पति जिम्मेदार है और शुक्र दांपत्य जीवन में संतान प्राप्ति के लिए जिम्मेदार ग्रह है, इसलिए अस्त होने पर विवाह नहीं होते। शास्त्रों के अनुसार शुभ विवाह के लिए दोनों ग्रहों का उदय होना आवश्यक है। बृहस्पति और शुक्र को शुभ ग्रह माना जाता है और इन ग्रहों को एक अच्छे विवाह के लिए जिम्मेदार माना जाता है। जब कुंडली में बृहस्पति और शुक्र की स्थिति मजबूत होती है तो जीवनसाथी के साथ हमेशा सामंजस्य बना रहता है और ये एक दूसरे को समझकर ही सारे काम करते हैं।
Shukra uday
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