
Sheetala Saptami puja 2025

जानें क्यों खास है बसौड़ा?
Sheetala Saptami puja 2025: शीतला सप्तमी के दिन राजगढ़ के शीतला माता मंदिर में भक्तों की लंबी लाइन देखने को मिली. माता को बासी खाने का भोग लगाने के लिए लोग यहां बड़ी संख्या में आए. आइए आपको बताते हैं कि बसौड़ा या शीतला सप्तमी इतना खास क्यों होता है.
शीतला माता करती है सभी मनोकमाना पूरी
सनातन धर्म में माता शीतला को सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है. शीतला सप्तमी के दिन माता शीतला को बासी खाने का भोग लगाया जाता है. होली के सात दिन बाद शीतला सप्तमी का त्योहार मनाया जाता है. इसे बसौड़ा भी कहा जाता है. इस दिन माता शीतला की खास पूजा की जाती है.
बासे खाने का लगता है भौग
इस साल 2025 में शीतला सप्तमी 21 मार्च को पड़ा है. इसी क्रम में मध्य प्रदेश के कई जिलों में माता की पूजा के लिए भक्तों ने देर रात से ही लाइन लगा दिया. उज्जैन, राजगढ़ और देवास जिले में भक्तों की लंबी लाइन देखने को मिली. सभी माता को बासी खाने का भोग लगाने के लिए आए थे.
उज्जैन के घरों में नहीं जला चूल्हा(Sheetala Saptami puja 2025)
मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में रंगपंचमी के दूसरे दिन सप्तमी का त्योहार मनाया गया. इस दिन घरों में चूल्हा नहीं जलता है. महिलाएं शीतला माता को ठंडा भोजन चढ़ाती है और लोग भी बासी खाना ही खाते हैं. इस खास दिन पर माता की पूजा करने और उन्हें भोग लगाने के लिए भक्तों ने रात 12 बजे से ही लाइन लगाया.
Sheetala Saptami puja 2025 शीतला माता को ठंडा खाना चढ़ाने की परंपरा
मौसम में बदलाव के समय शारीरिक संतुलन के दृष्टिकोण से भी एक दिन पहले बना ठंडा भोजन देवी को अर्पण कर प्रसाद रूप में ग्रहण करने की मान्यता है. ऐसा कहा जाता है कि यह करने से माता की कृपा प्राप्त होती है, बाल बच्चों को शीत जनित रोग नहीं सताते और ठंडा भोजन प्राप्त करने से रेजिस्टेंस पावर बढ़ता है. इससे वसंत ऋतु के साथ-साथ गर्मी के लिए भी स्वास्थ्य बेहतर होता है. आयुर्वेद इस संबंध में अलग-अलग प्रकार के विचार व्यक्त करता है.
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