Contents
- 1 देखिए देवी मंदिरों के पहले दिन की झांकी
- 2 Shardiya Navratri: मां महामाया मंदिर में 10,000 ज्योति कलश जलाए गए
- 3 Shardiya Navratri: रनतपुर महामया मंदिर में मां का विशेष श्रंगार
- 4 Shardiya Navratri: बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी
- 5 Shardiya Navratri: मां बम्लेश्वरी का सजा दरबार
- 6 Shardiya Navratri: अंबिकापुर की मां महामाया की महिमा
देखिए देवी मंदिरों के पहले दिन की झांकी
Shardiya Navratri: आज से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो गई है। छत्तीसगढ़ के शक्तिपीठों और देवी मंदिरों में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है. रायपुर के महामाया से लेकर डोंगरगढ़ के मां बम्लेश्वरी मंदिर तक में भक्तों की भारी भीड़ है. मंदिरों में विशेष आरती के साथ मनोकामना ज्योति कलश जलाए गए हैं।
सबसे पहले बात राजधानी रायपुर की करते है. 1400 साल पुरानी मां महामाया मंदिर में 10,000 से ज्यादा ज्योत जलाए गए। पहले दिन सुबह विशेष आरती के साथ ज्योति प्रज्वलित किए गए। मंदिर में 9 दिनों तक भजनों-कीर्तन होंगे। पुरानी बस्ती महामाया मंदिर में मां महामाया का दरबार कई मायनों में खास है। एक तो यह कि गर्भगृह में मां की मूर्ति दरवाजे से सीधे नहीं दिखती। इसे लेकर कई किंवदंतियां हैं। ऐसी ही एक किंवदंती है कि कल्चुरी वंश के राजा मोरध्वज की गलती के कारण ऐसा हुआ है।
न्यायधानी बिलासपुर की रतनपुर की महामाया मंदिर में सुबह पांच बजे माता का नव श्रृंगार कर महाभिषेक किया गया। जिसके बाद सुबह घटस्थापना की गई। 101 पुजारियों ने विधि-विधान से माता की पूजा अर्चना की.आज से पूरे 9 दिनों तक माता का पट बंद नहीं होगा और वो पूजा की मुद्रा में नजर आएंगी। नवरात्र के पहले दिन से ही मंदिरों में भक्तों का सिलसिला शुरू हो गया है।
दंतेवाड़ा में स्थित बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी मंदिर में पहले दिन श्रद्धालुओं की जबरदस्त भीड़ उमड़ी है। मंदिर के अंदर से लेकर गरुड़ स्तंभ और बाहर शेड तक भक्तों का तांता लगा है। दूर दराज से भक्त देवी के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं।
राजनांदगांव के डोंगरगढ़ में स्थित मां बम्लेश्वरी मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं की लाइन लगी है। आज से 9 दिन तक डोंगरगढ़ में मेला लगेगा। ऊपर मंदिर में 8100 और नीचे मंदिर में 851 आस्था के ज्योति कलश प्रज्वलित किए गए।
पहले दिन मां महामाया की प्रथम पूजा परंपरा के अनुसार बैगा के द्वारा की गई। इसके बाद पुजारियों ने पूजा अर्चना की और भक्तों के लिए पट खोले गए। अंबिकापुर में महामाया को छिन्नमस्तिका कहा जाता है। माना जाता है कि मां महामाया का धड़ अंबिकापुर में और सिर रतनपुर में स्थापित है।