हाईकोर्ट ने कहा- अधिकारी अपनी जेब से दें मुआवजा

हाईकोर्ट ने शहडोल कलेक्टर पर लगाया जुर्माना
shahdol collector fined two lakh: जबलपुर हाईकोर्ट ने शहडोल कलेक्टर डॉ. केदार सिंह पर 2 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने कहा कि यह राशि एक बेगुनाह युवक को दी जाएगी, जिसे गलत आदेश के चलते एक साल से ज्यादा जेल में रहना पड़ा। कलेक्टर ने अपराधी के बजाय सुशांत बैस नामक निर्दोष युवक पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत आदेश जारी कर दिया था।
गलती से निर्दोष पर लगा NSA
मामला शहडोल जिले का है, जहां पुलिस ने अपराधी नीरजकांत द्विवेदी पर NSA लगाने की सिफारिश की थी। लेकिन कलेक्टर ने गलती से सुशांत बैस के नाम पर आदेश जारी कर दिया। इस गलती की वजह से सुशांत को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया और वह एक साल से अधिक समय तक हिरासत में रहा।
कोर्ट ने कहा मौलिक अधिकारों का उल्लंघन
हाईकोर्ट की बेंच जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस एके सिंह ने माना कि यह मामला व्यक्ति के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का है।
कोर्ट ने टिप्पणी की “किसी अधिकारी की लापरवाही से एक निर्दोष नागरिक को आजादी से वंचित नहीं किया जा सकता।” कोर्ट ने कहा कि कलेक्टर को यह राशि अपनी व्यक्तिगत जेब से देनी होगी, ताकि प्रशासनिक जवाबदेही तय हो सके।
याचिका से खुली सच्चाई
सुशांत बैस के पिता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपने बेटे की बेगुनाही साबित की। कोर्ट में जब दस्तावेज और हलफनामे पेश हुए, तो साफ हुआ कि NSA आदेश में नाम गलत लिखा गया था। इसके बाद सुशांत की रिहाई हुई और मामला न्यायालय के संज्ञान में आया।
कलेक्टर पर कंटेम्प्ट की कार्रवाई के आदेश
कोर्ट ने कहा कि गलत दस्तावेज और गलत जानकारी देने के लिए यह केवल प्रशासनिक गलती नहीं बल्कि गंभीर लापरवाही है। इस पर अदालत ने कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट (अवमानना) की कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया है। साथ ही, 25 नवंबर को कलेक्टर को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने के निर्देश दिए गए हैं।
न्यायपालिका का सख्त रुख
हाईकोर्ट का यह आदेश सरकारी अधिकारियों के लिए एक सख्त संदेश है कि प्रशासनिक गलती की आड़ में किसी नागरिक के अधिकारों से समझौता नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि यदि अधिकारी सावधानी नहीं बरतते, तो उन्हें व्यक्तिगत जिम्मेदारी उठानी होगी।
मध्य प्रदेश में प्रशासनिक जवाबदेही पर बहस
इस घटना ने मध्य प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला भविष्य में NSA जैसे कठोर कानूनों के दुरुपयोग पर रोक लगाने में अहम साबित होगा। साथ ही, यह उन निर्दोष लोगों के लिए राहत की मिसाल है जिन्हें अक्सर सरकारी लापरवाही का शिकार होना पड़ता है।
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