Self love emotional health : इंतज़ार कीजिए… पहले खुद से तो मिलिए!

self love emotional health: रितिका एक 34 साल की वर्किंग वुमन है। हर सुबह वो जल्दी उठती है, घर संभालती है, ऑफिस जाती है, टीम लीड करती है, और शाम को फिर घर के कामों में जुट जाती है। सब कहते हैं – “रितिका बहुत स्ट्रॉन्ग है”, लेकिन रितिका जब रात में खुद से मिलती है… वो सिर्फ थकावट, खालीपन और एक गहरी चुप्पी महसूस करती है।
शायद आप भी रितिका जैसे हैं।
हम सबने कभी न कभी दूसरों की उम्मीदों में खुद को इतना खो दिया कि अपने दिल की आवाज़ सुनना ही भूल गए। हम ‘अच्छा बेटा’, ‘जिम्मेदार पति’, ‘काबिल कर्मचारी’ बनने के चक्कर में ‘मैं कौन हूं?’ ये सवाल ही पीछे छूट गया।
खुद से प्यार करना, स्वार्थ नहीं- ज़रूरत है
सोचिए, जब मोबाइल की बैटरी 5% होती है तो हम तुरंत चार्जर ढूंढते हैं। लेकिन जब हमारी भावनात्मक ऊर्जा 5% पर आती है, तो भी हम खुद से कहते हैं चलो थोड़ा और सह लेंगे।
क्यों?
खुद से प्यार करना कोई घमंड नहीं है। ये तो आत्मिक पोषण है। जिस तरह पौधे को पानी चाहिए होता है, उसी तरह इंसान को भी भावनात्मक देखभाल चाहिए होती है – और वो देखभाल कोई और नहीं, हम खुद ही सबसे पहले दे सकते हैं।
कैसे करें खुद से प्यार?
- ना कहना सीखिए: हर ‘हाँ’ आपकी नींद, ऊर्जा, और मन की शांति से समझौता न करे।
- अपने लिए समय निकालिए: हर दिन 20 मिनट सिर्फ अपने साथ बिताइए — बिना फोन, बिना शोर।
- गलतियों को अपनाइए: परफेक्शन के पीछे भागना छोड़िए। इंसान हैं, ग़लतियाँ होंगी… और वही हमें इंसान बनाती हैं।
- अपनी तारीफ कीजिए: जो आप कर रहे हैं, उसके लिए खुद को धन्यवाद दीजिए।
अंत में सिर्फ एक बात याद रखिए…
दूसरों को प्यार देना बहुत अच्छा है, लेकिन खुद को प्यार देना ज़रूरी है। क्योंकि जब आप अंदर से पूरे होंगे, तब ही आप बाहर की दुनिया में रोशनी बिखेर पाएंगे।
कभी किसी ने ठीक ही कहा है जो खुद से टूटा है, वो औरों को क्या जोड़ेगा?
आज खुद से एक चाय पर मिलिए… हो सकता है, यही पहली मुलाकात हो जहां आप खुद से दोबारा जुड़ पाएं।
आपका मन मायूस हो तो थोड़ा खुद से बात कर लेना… शायद जवाब वहीं मिल जाए। ❤️
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