
मणिपुर की स्थिति पर सह-राज्यपाल की चिंता और भाषा विवाद को लेकर अहम बयान
RSS Manmohan Singh tribute: आरएसएस के मंच पर डॉ. मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि: मणिपुर की स्थिति पर सह-राज्यपाल ने चिंता जताई, कहा भाषा विवाद को आपसी सहमति से सुलझाना होगा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मंच पर आयोजित एक श्रद्धांजलि सभा में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस मौके पर मणिपुर के सह-राज्यपाल ने राज्य की वर्तमान स्थिति पर गहरी चिंता जताई और विशेष रूप से भाषा विवाद के मुद्दे पर बात की। उन्होंने कहा कि मणिपुर में चल रहे तनाव और भाषाई विवाद को आपसी सहमति और समझदारी के साथ सुलझाया जाना चाहिए, ताकि वहां शांति और सद्भाव का माहौल बना रहे।
सह-राज्यपाल की चिंताएं और समाधान की दिशा
मणिपुर की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति पर चर्चा करते हुए सह-राज्यपाल ने जोर दिया कि राज्य में जारी असहमति और हिंसा को केवल संवाद और समझौते के माध्यम से हल किया जा सकता है। उन्होंने कहा, “हम सभी को मिलकर इस संकट का समाधान ढूंढ़ना होगा। भाषाई मतभेदों को हल करने के लिए सभी समुदायों को आपसी सहमति और सम्मान के साथ आगे बढ़ना होगा।”
उनके अनुसार, यह समय राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप से हटकर एक स्थायी समाधान की दिशा में काम करने का है, ताकि मणिपुर के लोग सुरक्षित और सम्मानित महसूस करें। सह-राज्यपाल ने कहा कि शांति और सौहार्द की आवश्यकता है, और इसके लिए सभी समुदायों को एक साथ आकर एक साझा रास्ता तय करना होगा।
डॉ. मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि
इस श्रद्धांजलि सभा में डॉ. मनमोहन सिंह की योगदान और नेतृत्व को भी याद किया गया। उन्हें एक ऐसे प्रधानमंत्री के रूप में याद किया गया, जिन्होंने आर्थिक सुधारों के माध्यम से भारत को एक नई दिशा दी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का सम्मान बढ़ाया। उनके कार्यकाल में देश ने अर्थव्यवस्था और राजनीतिक स्थिरता में महत्वपूर्ण सुधार देखे।
सभा में उपस्थित नेताओं ने डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यों और उनके नैतिक और सशक्त नेतृत्व की सराहना की। उनका योगदान भारतीय राजनीति और समाज के लिए हमेशा याद किया जाएगा।
भाषा विवाद: सामाजिक मुद्दा(RSS Manmohan Singh tribute)
मणिपुर में भाषा विवाद को लेकर कई तरह की चिंताएं उठ रही हैं। कई वर्षों से यह मुद्दा राज्य में राजनीति और सांस्कृतिक असहमति का कारण बना हुआ है। सह-राज्यपाल ने इस विवाद को संवेदनशील बताते हुए सभी संबंधित पक्षों से आग्रह किया कि वे इसे मिलकर सुलझाने की कोशिश करें।
भाषाई मतभेद अक्सर सामाजिक तनाव का कारण बनते हैं, लेकिन जब इसे संवेदनशीलता और सहिष्णुता के साथ सुलझाया जाता है, तो यह राज्य के सामाजिक ताने-बाने को मजबूत कर सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि मणिपुर के लिए एक समृद्ध भविष्य तभी संभव है जब हर समुदाय और भाषा को समान रूप से सम्मान दिया जाए।