Contents
बीजेपी और संघियों को कहा अहंकारी न बनें
RSS Chief: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत चाहते तो पहले भी बीजेपी को खरी-खरी सुना सकते थे लेकिन उन्होंने चुनावी नतीजे आने और नई सरकार गठित होने तक संयम बरता और इसके बाद कड़े शब्दों में नसीहत दी.
उन्होंने इसके लिए कार्यकर्ता प्रशिक्षण विकास वर्ण द्वितीय के समापन समारोह का अवसर चुना. भागवत ने बीजेपी नेतृत्वाली एनडीए सरकार को जमकर सुनाया और खास तौर पर बीजेपी नेताओं को निशाना बनाया जो अपने बेछूट बयानों से मर्यादा का उल्लंघन कर रहे थे, आशा है, संघ प्रमुख की दी हुई सीख के बाद बीजेपी सही ट्रैक पर लौट आएगी.
NEET UG 2024 exam results: उम्मीदवारों के ग्रेस मार्क्स वापस लिए
चुनाव प्रचार के दौरान बहुत ही स्तरहीन या घटिया किस्म को बयानबाजी की गई जो खबरों को सुर्खियों में देखी गई. नेताओं का अहंकार चरम पर था जिसमें विपक्ष के प्रति शत्रुत का भाव परिलक्षित हो रहा था.
संघ प्रमुख ने कहा विपक्ष की भी सुनें
RSS Chief: सरसंघचालक ने अपने घमंड में चूर और विपक्ष के प्रति असहिष्णु सत्ताधारियों को सीख दी कि वे विपक्ष की भी सुनें. सिक्के के 2 पहलुओं के समान पक्ष और विपक्ष होते हैं. सरकार को विपक्ष द्वारा उठाए गए मुद्दों पर भी विचार करना चाहिए.
देश के मुद्दे उठाने के लिए जैसे सत्तारूढ़ दल का दृष्टिकोण है, वैसे हो विपक्ष का भी नजरिया होता है. दोनों को मिलकर देश के उत्कर्ष के लिए काम करने की आवश्यकता है. जब पक्ष और विपक्ष साथ मिलकर काम करेंगे, तभी जनता कौ समस्याओं का हल निकाला जा सकेगा.
संघ प्रमुख (RSS Chief) ने कहा कि जो भी सेवक होता है, उसे अहंकारी नहीं होना चाहिए. इस तरह की मर्यादा का पालन होना चाहिए कि दूसरे को धक्का न लगे. जो सेवा करता है, उसे ध्यान रखना चाहिए
RSS Chief: सामाजिक समरसता जरूरी
चुनाव प्रचार के दौरान एक दूसरे को लताड़ने और समाज में कलह फैलाने वाले नेताओं को फटकारते हुए भागवत ने कहा कि समाज को बांटना अत्यंत अनुचित है. प्रचार में मनमुटाव इतना ज्यादा बढ़ाया गया जैसे कोई युद्ध चल रहा हो. देश में मत-मठांतर वाले लोगों को एक साथ लेकर चलना होगा. सभी लोगों को समझना होगा कि यह देश उनका है. आम सहमति से ही देश को चलाने की आवश्यकता है. संघ प्रमुख ने राष्ट्रीय एकात्मता और सामाजिक समरसता पर जोर दिया.
संघ को चुनाव में क्यों घसीटा
RSS Chief: बीजेपी अध्यक्ष जेपी नहा ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि बीजेपी अपने आप में समर्थ और शक्तिशाली है, जिसे अब आरएसएस के सहारे की जरूरत नहीं रह गई. इस बयान में पितृ संगठन को नकारने और अहंकार का स्वर था. सभी जानते हैं कि बीजेपी की जड़ें आरएसएस में ही हैं. दोहरी सदस्यता का मुद्गा उठाए जाने पर वाजपेयी और आडवाणी जैसे दिग्गज नेताओं ने भी जनता पार्टी की सदस्यता और मंत्री पद छोड़कर संघ के साथ रहना मंजूर किया था .
नड्डा का बयान संघ को चुभने वाला था और उसका कोई औचित्य भी नहीं था . संघ प्रमुख (RSS Chief) ने चुनाव के दौरान आरएसएस को बेवजह घसीटने पर तीखी नाराजगी जताई. उन्होंने सोशल मीडिया पर संघ को लेकर की गई टिप्पणियों पर भी प्रहार किया और कह्य कि चुनाव में जो नतीजा आया, वह जनता का दिया फैसला है. संघ सिर्फ जनता को जागृत करने का काम करता है . इससे ज्यादा संघ को चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है. लोकतंत्र को सशक्त बनाए रखने के लिए चुनावी प्रक्रिया जरूरी है।
Must Watch: एक ऐसी प्रथा – बिना शादी के एक साथ रह सकते है लड़का – लड़की !