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Reservation: 65 फीसदी आरक्षण बढ़ाने का आदेश रद्द
Reservation: बिहार स्टेट में आरक्षण का दायरा बढ़ाए जाने के राज्य सरकार के फैसले को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है. प्रदेश में आरक्षण का दायरा 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फ़ीसदी किए जाने के फैसले को हाईकोर्ट ने पलट दिया है.
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पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने सुनवाई के बाद बिहार सरकार द्वारा शिक्षण संस्थानों व सरकारी नौकरियों में एससी, एसटी, ईबीसी व अन्य पिछड़े वर्गों को 65 फीसदी आरक्षण को रद्द कर दिया है.
Reservation: हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के द्वारा लाये गये कानून पर सुनवाई पूरी कर फैसला 11 मार्च को सुरक्षित रख लिया था, पटना हाईकोर्ट ने सरकार के कानून को रद्द करते हुए आज फैसला सुनाया.
जातिगत आबादी और नौकरी में हिस्सेदारी
बिहार सरकार ने 2023 में विधानसभा में राज्य के आर्थिक और शैक्षणिक आंकड़े पेश किए थे. सरकार द्वारा यह भी बताया गया था कि प्रदेश सरकार की नौकरियों में किस वर्ग की कितनी हिस्सेदारी है.
Reservation: बिहार में जनरल की आबादी 15 प्रतिशत है जवकि इनके पास सबसे ज्यादा 641281 सरकारी नौकरियां हैं. सरकारी नौकरी के मामले में दूसरे नंबर पर 63 फीसदी आबादी पिछड़े वर्ग की है. ओबीसी के पास कुल 621481 नौकरियां हैं.
प्रदेश में तीसरे नंबर पर एससी की 19 प्रतिशत आबादी है. इनके पास 291 4 नौकरियां हैं. राज्य में सबसे कम 1 प्रतिशत से ज्यादा आबादी अनुसूचित जनजाति वर्ग के पास सरकारी नौकरियां हैं. जबकि इनके पास 30164 सरकारी नौकरियां हैं.
अभी किसे कितना आरक्षण?
Reservation: संविधान के मुताबिक देश में 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं हो सकता है. जवकि देश में 49.5% आरक्षण है. इसमें ओबीसी को 27%, एससी को 15% और एसटी को 7.5% आरक्षण मिल रहा है.
मोदी सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लोगों को भी 10% आरक्षण दिया है. इस हिसाब से आरक्षण की सीमा 50 फीसदी के पार जा चुकी है. फिर भी नवंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लोगों को आरक्षण देने के केंद्र के फैसले को सही ठहराया. बिहार में भी पहले आरक्षण की सीमा 50 फीसदी ही थी. प्रदेश सरकार के नए फैसले से सविधान का उल्लंघन हो रहा था
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