खाद्य तेल पर आयात शुल्क में सीधे 22% की वृद्धि
देश में रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद सोयाबीन तेल, प्याज और आटा जैसी जरूरी खाद्य वस्तुओं के दाम घटने के बजाय बढ़ते जा रहे हैं। सोयाबीन तेल सिर्फ 13 दिनों में 30% महंगा हो गया है। प्याज की कीमतें केवल चार महीनों में ढाई गुना हो गईं। पिछले 6 महीने में आटा 7 रुपये से ज्यादा महंगा हो गया है। देश में इस बार 1.27 करोड़ टन सोयाबीन उत्पादन होने का अनुमान है।
पिछले वर्ष यह केवल 125 मिलियन टन था। इसी तरह रबी सीजन में प्याज का उत्पादन 1.91 करोड़ टन रहा। यह पिछले रबी सीजन की तुलना में 27 फीसदी ज्यादा है। उधर, 23-24 सीजन में रिकॉर्ड 11 करोड़ 29.2 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ, जिसका इतना उत्पादन पहले कभी नहीं हुआ। 2022-23 में यह 110.5 मिलियन टन था। यानी इसमें लगभग 3% की वृद्धि हुई है।
रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद महंगाई बढ़ने के पीछे सरकार के फैसले एक बड़ी वजह हैं। किसानों की मांग के बाद मई में प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध हटा लिया गया था। उसके बाद प्याज के दाम बढ़ने लगे। इस बार सोयाबीन की फसल अच्छी रही। सब्जी मंडी में किसानों को दाम नहीं मिल पा रहे थे।
नाराज किसानों ने आंदोलन किया तो सरकार ने समर्थन मूल्य बढ़ाकर सोयाबीन खरीदना शुरू कर दिया। खाद्य तेल पर आयात शुल्क में सीधे 22% की वृद्धि की गई। नतीजतन, कीमतें बढ़ीं। गेहूं में इस बार सरकार ने दो साल से खाली पड़े गोदामों को भरने के लिए समर्थन मूल्य पर भारी खरीदारी की। जब मुक्त बाजार में गेहूं की उपलब्धता कम हो गई, तो मुनाफाखोरों ने कीमत बढ़ा दी।