PITHAMPUR KACHRA: भोपाल गैस त्रासदी के 40 वर्ष बाद यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री परिसर के घातक कचरे को धार जिले के पीथमपुर स्थित रि-सस्टेनेबिलिटी (पूर्व में रामकी) कंपनी संयंत्र में तीन परीक्षण के बाद निष्पादन करने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए तीनों परीक्षण की रिपोर्ट जबलपुर हाई कोर्ट में 27 मार्च को होने वाली सुनवाई में प्रस्तुत की जानी है। इसके आधार पर 307 टन कचरे के निष्पादन के बारे में हाई कोर्ट से दिशा-निर्देश दिए जाएंगे। वहीं, परीक्षण के पश्चात जले कचरे की राख को पैक कर टीन शेड में सुरक्षित रखा गया है।

समिति भी अपना पक्ष हाईकोर्ट में रखेगी
PITHAMPUR KACHRA: समिति के हेंमत कुमार हिरोले ने कहा कि समिति भी अपना पक्ष हाईकोर्ट में रखेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि भोपाल से लाए गए कचरे में मर्करी भी है, जो घातक न्यूरोटाक्सिन है, लेकिन रिपोर्ट में उसकी मात्रा का जिक्र नहीं है।
तीस टन कचरे का निपटान हो चुका
भोपाल से लाए गए 337 टन कचरे में से तीस टन कचरे का निपटान हो चुका है। इस दौरान हानिकारक गैसें ज्यादा नहीं निकली, लेकिन अभी कचरे की राख को लैंडफील नहीं किया गया है। उसे रामकी संयंत्र में ही सुरक्षित रखा गया है। तीनों ट्रायल रन की रिपोर्ट अब 27 मार्च को होने वाली जबलपुर हाईकोर्ट की सुनवाई में प्रस्तुत की जाएगी। तीन टन कचरे के बाद फिलहाल भस्मक बंद है।
PITHAMPUR KACHRA: 270 किग्रा कचरा दहन किया
- पहले चरण में 135 किलोग्राम कचरा प्रति घंटा की दर से 74 घंटे, दूसरे चरण में 180 किग्रा प्रति घंटे की दर से 55 घंटे और तीसरे चरण में 270 किग्रा प्रतिघंटे की दर से 37 घंटे में कचरा दहन किया गया।
- कचरा दहन करने के बाद निकली राख को कंपनी परिसर में ही बनाए टीन शेड में अच्छी तरह पैक कर रखा गया है।
- मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी एसएन द्विवेदी ने बताया कि तीनों चरणों के परिणामों की रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
- अभी बोर्ड की बैठक होगी। उसमें आगे का निर्णय लिया जाएगा। इसके साथ ही रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत की जाएगी। राख की निष्पादन प्रक्रिया सबसे अंत में की जाएगी