mukesh ambani reliance cbi investigation: बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) पर ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन (ONGC) के वेल्स से ₹13,700 करोड़ (1.55 अरब डॉलर) की नेचुरल गैस चोरी के आरोपों की CBI जांच की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया है।

मामले का संक्षिप्त विवरण
- याचिकाकर्ता: जितेंद्र पी मारू
- आरोप: रिलायंस ने डीप-सी वेल्स से साइडवेज ड्रिलिंग करके ONGC के पड़ोसी वेल्स में घुसकर बिना अनुमति गैस निकालने का काम किया।
- आरोपित: मुकेश अंबानी समेत रिलायंस के कई डायरेक्टर्स
- कोर्ट: बॉम्बे हाईकोर्ट (बेंच जस्टिस एएस गडकरी और रंजीतसिंह राजा भोंसले)
- अगली सुनवाई: 18 नवंबर 2025
- स्थिति: इंटरिम ऑर्डर जारी
ONGC ने चोरी पकड़ ली थी

याचिकाकर्ता का कहना है कि यह एक ‘मैसिव ऑर्गनाइज्ड फ्रॉड’ था। ONGC के अफसरों ने 2013 में चोरी पकड़ी और रिपोर्ट सरकार को भेजी। इसके बाद कंपनी ने रिकवरी की मांग की, लेकिन कोई क्रिमिनल कार्रवाई नहीं हुई।
रिलायंस का दावा: गैस खुद आई
रिलायंस का कहना था कि यह गैस ‘माइग्रेटरी’ थी, यानी खुद उनके वेल्स में चली आई। ऐसे में उनका दावा था कि इसे निकालने का अधिकार उन्हें था।

लेकिन जांच फर्म D&M (डे-गॉलीयर एंड मैक-नॉटन) ने पाया कि रिलायंस ने बिना परमिशन गैस निकाली। बाद में यूनियन ऑफ इंडिया ने अपील की और कोर्ट ने कहा कि रिलायंस का ‘माइग्रेटरी गैस’ दावा सही नहीं ठहरता।
मामला क्यों अहम है
- यह 2004-2013/14 के बीच हुई कथित चोरी से जुड़ा है।
- मामले में कुल 1.55 अरब डॉलर (₹13,700 करोड़) की गैस का विवाद है।
- अगर CBI जांच होती है, तो RIL और उसके डायरेक्टर्स को सीधे जांच का सामना करना पड़ेगा।
5 जरूरी सवाल
- क्या रिलायंस ने वेल्स में ड्रिलिंग करके वास्तव में गैस चोरी की?
- क्या ONGC और सरकार की रिकवरी मांग को नजरअंदाज किया गया?
- रिलायंस का ‘माइग्रेटरी गैस’ दावा कितना वैध है?
- इस मामले में कानूनी कार्रवाई कितनी गंभीर हो सकती है?
- CBI जांच से भारतीय तेल और गैस उद्योग पर क्या असर पड़ेगा?
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