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केंद्र के सहयोग से ये योजना लेकर आ रही प्रदेश सरकार
MP NEWS: मध्यप्रदेश की मोहन सरकार दुष्कर्म पीड़िताओं के लिए नई योजना लेकर आ रही है.इस योजना से रेप पीड़िताओं का भविष्य सुरक्षित होगा.मोहन कैबिनेट की बैठक योजना को मंजूरी मिलने के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा.
MP NEWS: सरकार लेगी दुष्कर्म पीड़िताओं के बच्चों की जिम्मेदारी
यह नई योजना केन्द्र की मोदी सरकार की सिफारिश के बाद लाई जा रही है. नई योजना प्रदेश में दुष्कर्म का शिकार होने वाली नाबालिग और उनसे जन्म लेने वाले बच्चों के कल्याण के लिए होगी. इस योजना के तहत प्रदेश सरकार ऐसी पीड़ित नाबालिग और बच्चों को तमाम स्वास्थ्य सुविधाएं, 5 लाख रुपए तक का स्वास्थ्य बीमा और 23 साल तक की उम्र तक शिक्षा और उनकी आजीविका साधन उपलब्ध कराएगी. मोहन सरकार की आज होने जा रही कैबिनेट की बैठक में इस पर मंजूरी दी जाएगी.
MP NEWS: केन्द्र सरकार ने दिए निर्देश
नाबालिग से दुराचार की घटनाओं के मामले में मध्यप्रदेश टॉप राज्यों में से एक है. हालांकि, ऐसी दिल को झकझोरने वाली घटनाओं को रोकने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा फांसी तक के कड़े प्रावधान किए हैं, लेकिन इसके बाद भी नाबालिगों से दुराचार की घटनाएं रूकने का नाम नहीं ले रहीं. दुराचार पीड़ित नाबालिग गर्भवती हुई और बच्चे को जन्म दिया. इसे देखते हुए केन्द्र सरकार द्वारा एक साल पहले प्रोटेक्शन फॉर चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल अफेंस एक्ट के तहत विक्टिम केयर एंड सपोर्ट स्कीम बनाने की सिफारिश की थी. अब राज्य सरकार ने इस दिशा में कदम आगे बढ़ाते हुए नई योजना शुरू की जा रही है.
MP NEWS: योजना में ये प्रावधान
इस योजना में पीड़ित नाबालिग और उनसे जन्मे बच्चे के स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीबिका के कल्याण को लेकर कई कदम उठाए जाएंगे. जैसे-
इसमें पीड़िता को 23 साल तक या रोजगार मिलने तक प्रति बच्चा 4 हजार रुपए आर्थिक मदद दी जाएगी.
नवजात शिशु को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत हर साल 5 लाख रुपए तक का स्वास्थ्य बीमा कवर का लाभ दिया जाएगा.
बच्चों के लिए डेडिकेटेड चाइल्ड केयर यूनिट स्थापित किया जाएगा.
ऐसी पीड़ित बच्चियों को मानसिक आघात से उबारने के लिए काउंसलिंग और अन्य स्वास्थ्य सेवाएं दी जाएंगी.
पीड़ित बच्चियों की पढ़ाई लगातार जारी रह सके, इसके सरकार द्वारा प्रयास किए जाएंगे. ऐसे बच्चियों की इच्छा पर उन्हें व्यावसायिक शिक्षा दिलाई जाएगी, ताकि वे स्किल्ड हो सकें.
मिशन वात्सल्य के तहत संस्थागत देखभाल के लिए हर साल 25 लाख रुपए का प्रावधान भी किया जाएगा.