MP NEWS: 20 साल के ‘संयम’ ने लिया संयम

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मुक्तहस्त से लुटाया सांसारिक वैभव

इकलौते बेटे ने माता-पिता के हाथों अंतिम बार किया भोजन

आंखे नम कर देगी नजारा…

MP NEWS: जिस उम्र में लोग आधुनिक जीवन शैली की सुख सुविधाओं को अपनाते हैं. उस उम्र में रतलाम के 20 साल के युवा संयम पालरेचा ने दीक्षा लेकर संयम के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं.संयम सांसारिक मोह माया का त्याग कर जैन दीक्षार्थी बन गए.

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MP NEWS: दोनों हाथों से लुटाई सासंरिक वस्तुएं

MP NEWS: रतलाम के मुमुक्षु संयम पालरेचा ने विशाल जुलूस के बीच सांसारिक मोह माया और वस्तुओं का त्याग कर दिया. उन्होंने दोनों हाथों से अपनी सभी सांसारिक वस्तुओं को लुटा दिया. माता-पिता के इकलौते पुत्र संयम पालरेचा को संयम का पथ ऐसा भाया कि उन्होंने दीक्षार्थी बनने का निर्णय ले लिया. मुमुक्षु संयम बुधवार सुबह आचार्य श्री बंधु बेलड़ी प्रशिष्यरत्न गणिवर्य श्री पदम-आनंदचन्द्रसागर जी म.सा. के करकमलों से परमानंदी प्रवज्या ग्रहण कर संयम जीवन के पथ पर अग्रसर हुए हैं.

सांसारिक जीवन के अंतिम दिन मुमुक्षु संयम ने अपने माता-पिता के साथ भव्य रथ में सवार होकर वर्षीदान किया. उन्होंने सांसारिक दैनिक उपयोग की वस्तुओं के साथ बर्तन आदि सामग्री मुक्तहस्त से सम्पूर्ण मार्ग में लुटाई. यह भव्य यात्रा धानमंडी से आरम्भ होकर यात्रा नाहरपुरा, गणेश देवरी, चांदनी चौक, लक्कड़पीठा, बाजना बस स्टैंड होकर लगभग तीन घंटे में दीक्षा स्थल तक पहुंची.

MP NEWS: चारों तरफ दिखा उत्साह का नजारा

पारंपरिक भारतीय उत्सव परिधान और साफे बांधे युवाओं की टोलियां ढोल-ताशे और बैंड पर नृत्य करते अपने उत्साह को दिखाई नजर आई। रतलाम के बैंड, गुजरात, महाराष्ट्र के संगीत यंत्रों के साथ पारंपरिक लोक नृत्य की कलाकारों की शानदार प्रस्तुति दी.आखिर में परमात्मा का रथ और उसके साथ पू. साध्वी अर्चितगुणाश्रीजी मसा, साध्वी स्वर्णज्योति श्रीजी मसा, साध्वी मेघवर्षाश्रीजी मसा, रत्नरिद्धिश्रीजी मसा एवं साध्वी रतनवृद्धिश्रीजी मसा आदि विशाल श्रमण श्रमणी वृन्द की निश्रा में बड़ी संख्या में समाजजन चल रहे थे। मार्ग में जगह-जगह गुजरात और स्थानीय कलाकार रंगोली को आकर देते चल रहे थे।

MP NEWS: दीक्षा के लिए देनी पड़ती है कड़ी परीक्षा

दीक्षा प्राप्त करने का यह सौभाग्य सभी को प्राप्त नहीं होता है. इससे पूर्व संयम, उपवास और आराधना की परीक्षा देकर गुरुवार से आशीर्वाद प्राप्त करना होता है. महज 20 साल की उम्र में संयम पालरेचा ने सांसारिक मोह माया का त्याग कर दिया है. मुमुक्षु संयम अपने माता पिता कविता एवं प्रवीण पालरेचा के एकमात्र पुत्र हैं, जिन्होंने खुशी-खुशी दीक्षा ग्रहण करने के लिए संयम को आशीर्वाद दिया है.

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