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तंत्र-मंत्र के दम पर चलने लगती है मिट्टी की मूर्ति!
MP NEWS:नर्मदापुरम के सोहागपुर तहसील में एक ऐसा मेला लगता है, जिसमें सैंकड़ों तांत्रिक यहां आकर तंत्र की देवी गांगो माई की परिक्रमा करते हैं. यह मेला बीते 150 सालों से लगता आ रहा है, जि
MP NEWS: तांत्रिकों का मेला
नर्मदापुरम के सोहागपुर तहसील में एक ऐसा मेला लगता है, जिसमें सिर्फ तांत्रिक शामिल होते है और सब मिलकर तंत्र की देवी गांगो माई की पूजा अर्चना करते हैं. यह मेला बीते 150 सालों से लगता आ रहा है सोहागपुर में लगने वाले तांत्रिकों के मेले में करीब 200 तांत्रिक अपनी देवी की पूजा करने और उसकी परिक्रमा करने के लिए इस मेले में शामिल होते हैं.
MP NEWS:मेले में शामिल होते है सैकड़ों तांत्रिक
मेले में करीब 200 तांत्रिक शामिल होते है.इन्हे पडियार कहा जाता है. ये सभी आदिवासी तांत्रिक इस मेले में शामिल होकर देवी के सामने आकर अराधना करते है और अपने अपने निशान के रूप में ढाला लेकर आते है, जिसे एक बांस में मोर पंखों को सजाकर बनाया जाता है. यहां तांत्रिक अपनी-अपनी तंत्र सिद्धि के लिए प्रयास करते रहते हैं.
MP NEWS:क्या है मेले की मान्यता?
ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव के गण भीलट देव और तंत्र की देवी गांगों दोनों तंत्र विद्या में माहिर थे. एक समय ऐसा आया कि दोनों आपस में ही अपनी शक्तियों का प्रदर्शन करने लगे, जिसमें तंत्र की देवी गांगो ने भीलट देव को तंत्र विद्या के दम पर बैल बना दिया. भगवान शिव ने दोनों को आपस में लड़ता देख समझाया और कहा कि तुम दोनों भाई-बहन हो, आपस में लड़ना बंद करो. शिव जी ने गांगो को आशीर्वाद देकर कहा कि आज से सभी तंत्र के देवता और गण गांगों देवी की भाई दूज के दिन पूजा करके परिक्रमा करेंगे.तभी से तंत्र के जानने वाले पडियार गांगो माता की पूजा करते हैं.
MP NEWS:वर्षों से चली आ रही परंपरा
इस मेले की एक और खास बात है कि यहां तांत्रिक देवी की पूजा और परिक्रमा तब तक शुरू नहीं होती, जब तक भीलट देव का निशान गजा नहीं आ जाता. भीलट देव का निशान एक बांस में लोटा बांधकर बनाया जाता है और बाकी तांत्रिक गण अपने निशान बांस में मोर पंख बांधकर बनाते हैं.तांत्रिक मेले की शुरुआत लगभग 150 वर्ष पूर्व बताई जाती है. एक तांत्रिक ने बताया, ” हमारे पूर्वजों ने इस देवी की प्रतिमा को शोभापुर के राजा से जीता था, जिसे सुखराम के पूर्वज इस मिट्टी की प्रतिमा को पैदल चलाकर अपनी तांत्रिक शक्ति के दम पर लाए थे. तभी से यहां तांत्रिक मेले का आयोजन कराया जा रहा है.”