High Court warning: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने पति की मृत्यु के बाद अनुकम्पा नियुक्ति लेने वाली एक बहू के मामले में साफ कर दिया है कि वह अपने वैद्यानिक दायित्वों से पीछे नहीं हट सकती है। मामला राजधानी भोपाल के गोविंदपुरा निवासी प्रमोद और रंजना श्रीवास्तव के बेटे प्राचीर श्रीवास्तव के साल 2020 में हुए निधन से जुड़ा है। जिसके बाद प्रमोद और रंजना ने सहमति से बहू प्रियंका माथुर को अनुकम्पा नियुक्ति दिला दी थी।
High Court warning: पीडितों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
इसके बाद कुछ समय तक तो प्रियंका ने सास-ससुर की देखभाल की लेकिन थोड़े ही समय के बाद बहे ने उनकी देखभाल से इंकार कर दिया। इतना ही नहीं सास-ससुर पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाते हुए घर भी छोड़ दिया। ऐसे में चार साल तक किसी तरह गुजारा करने के बाद बुजुर्ग दम्पत्ति ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. 19 मई 2025 को गोविंदपुरा अनुविभागीय दण्डाधिकारी ने आदेश दिया कि प्रियंका सास-ससुर के साथ रहे और उनकी देखभाल करे।
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High Court warning: बहु का सेवा करने से इंकार
इस आदेश के खिलाफ प्रियंका माथुर ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर चुनौती दी। 3 दिसंबर को मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायाधीश विनय सराफ की युगलपीठ में हुई सुनवाई में प्रियंका की ओर से दलील दी गई कि वह घरेलू विवादों के कारण अलग रह रही हैं और बुजुर्गों की देखभाल करने में सक्षम नहीं हैं। इस पर कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि अनुकम्पा नियुक्ति लेकर जिम्मेदारी से पीछे हटना स्वीकार्य नहीं है।
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देखभाल नहीं कर सकतीं तो नौकरी छोड़ दो
खास बात यह है कि इस मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने यहां तक टिप्पणी की है कि यदि उनका बेटा जीवित होता तो वह अपने माता-पिता की सेवा करता, और अब यही कर्तव्य बहू को भी निभाना है। उच्च न्यायालय ने यहां तक कहा कि यदि प्रियंका उनकी देखभाल नहीं कर सकतीं, तो वह नौकरी छोड़ दें ताकि परिवार के किसी अन्य सदस्य को यह अवसर दिया जा सके, और बहू को केवल मुआवजा दे दिया जाए।
8 जनवरी को अगली सुनवाई
प्रमोद श्रीवास्तव (72) और रंजना श्रीवास्तव (65) की उम्र को देखते हुए उच्च न्यायालय ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण भोपाल को निर्देश दिया है कि वे बुजुर्ग दम्पति को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेश करवाने में सहायता प्रदान करें। साथ ही याचिकाकर्ता प्रियंका माथुर को स्वयं न्यायालय में उपस्थित रहने का आदेश दिया गया है। इस मामले की अगली सुनवाई 8 जनवरी 2026 को निर्धारित की गई है।
