
घायल बच्चा

जंगली जानवर के जबड़े से बेटे को बचा लाई मां
Mother saves son from leopard attack: कहां जाता है इन दुनिया में मां से बड़ा कोई योद्धा नहीं है,ऐसा ही कुछ चंबल अंचल के श्योपुर विजयपुर स्थित ऊमरीकला गांव में देखने को मिला जहां एक मां अपने 9 साल के बेटे को मौत के मुंह से निकाल कर ले आई
बेटे के लिए चीता से भिड़ गई मां

बच्चा घर के आंगन में खेल रहे 9 साल के बच्चे पर अचानक “चीता’ ने हमला कर दिया। उसने मासूम का चेहरा और गर्दन अपने दांत में दबा लिया। मासूम की चीख सुनकर पास ही मवेशियों को चारा डाल रही उसकी मां सुरक्षा धाकड़ दौड़ते हुए पहुंची और ” चीता’ के चंगुल में फंसे अपने बेटे को खींचने लगी। दूसरी तरफ से “चीता’ जोर लगा रहा था। करीब 7 मिनट तक संघर्ष चली और उसके बाद मां अपने बेटे के प्राण “चीता’ के मुंह से खींच लाई, लेकिन इस दौरान जानवर के दांत व नाखून और पंजे से मासूम के चेहरे और सिर पर 14 गंभीर घाव हो गए।
मां से बड़ा कोई योद्धा नहीं: ढाई घंटे चला ऑपरेशन
इसके बाद डॉक्टरों ने उसकी जिंदगी बचाने की जंग शुरू की। ग्वालियर के सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में ढाई घंटे चले ऑपरेशन के बाद मासूम को 120 टांके लगाए गए, तब जाकर उसकी जान बच सकी। वन विभाग के डीएफओ
मासूम के चेहरे पर 14 घाव, 120 टांके लगे (Mother saves son from leopard attack)
विजयपुर के ऊमरीकला गांव में रविवार की शाम 9 साल के जिस बच्चे को जंगली जानवर ने हमला कर बुरी तरह घायल कर दिया था। बच्चे को गंभीर हालत में जेएएच समूह के सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। बच्चे का सोमवार को ऑपरेशन किया। चेहरे और गर्दन में 14 घाव थे। ढाई घंटे चले ऑपरेशन में उसे 120 टांके आए थे। अब डॉक्टरों ने उसे 48 घंटे की कड़ी निगरानी में रखा है। पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के असि. प्रो. डॉ. जितेंद्र ग्रोवर ने बताया कि मासूम अविनाश धाकड़ तेंदुए के हमले में बुरी तरह जख्मी हो गया था। ऑपरेशन के दौरान बच्चे के चेहरे के घाव को इस तरह जोड़ा जाए कि उसका चेहरा खराब न हो। इसलिए टांके लगाते समय विशेष सावधानी बरती गई ताकि घाव सही तरीके से भर सकें। बच्चे को कुल 120 टांके लगाए गए हैं। तेंदुए की लार से संक्रमण फैलने का खतरा रहता है, इसलिए उसे अभी चिकित्सकीय निगरानी में रखा जाएगा।
Mother saves son from leopard attack : गांव में ही घूम रहा है “चीता’
घायल बच्चे की मां सुरक्षा धाकड़ का कहना है कि इस घटना के बाद भी गांव में दहशत कम नहीं हुई है। एक दिन पहले भी “चीता’ देखने की बात लोगों ने की है। जबकि वन विभाग अभी उलझन में है कि हमला करने वाला तेंदुआ था या चीता। वन विभाग का अमला राउंड लगाकर चला गया है। यही कारण हैं कि ऊमरीकला गांव के लोग बच्चों को बाहर नहीं निकलने दे रहे हैं। साथ ही अपने मवेशियों की डंडा लेकर निगरानी कर रहे हैं।
Click This:- सटीक, सच्ची और सिर्फ खबर के लिए डाउनलोड करे app
Read More:- World Happiness Report 2025: भारत से ज्यादा खुश पाकिस्तान और नेपाल के लोग