Maa Harsiddhi Dham Tarawali: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 35 किलोमीटर दूर रसिया तहसील के तरावली गांव में स्थित मां हरसिद्धि धाम अपनी अद्भुत मान्यताओं, ऐतिहासिक कथा और श्रद्धालुओं की अटूट भक्ति के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर धार्मिक ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा का भी केंद्र माना जाता है।
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उल्टी परिक्रमा की अनोखी परंपरा…
तरावली के इस मंदिर की सबसे अनोखी परंपरा है — उल्टी परिक्रमा। यहां भक्त सीधे परिक्रमा करने के बजाय उल्टी दिशा में परिक्रमा करते हैं।
मान्यता है कि उल्टी परिक्रमा करने से अधूरे काम पूरे होते हैं और मनोकामनाएं जल्दी पूर्ण होती हैं, जब भक्तों की इच्छा पूरी हो जाती है, तो वे सीधी परिक्रमा कर माता को धन्यवाद देने जरूर लौटते हैं।
संतान प्राप्ति की विशेष मान्यता….
इस मंदिर में संतान प्राप्ति की भी विशेष मान्यता है। कहा जाता है कि जिन महिलाओं को संतान सुख नहीं मिलता, वे मंदिर के पीछे बहने वाली वाह्य नदी में स्नान कर मां हरसिद्धि की पूजा करती हैं। ऐसा करने से मनोकामना पूर्ण होती है और माता उन्हें संतान का आशीर्वाद देती हैं। मां हरसिद्धि की अनोखी मूर्ति और आरती परंपरा।

यहां मां हरसिद्धि के धड़ की पूजा विशेष रूप से की जाती है, क्योंकि उनके चरण काशी में और शीश उज्जैन में स्थित हैं। तरावली में धड़ स्वरूप माता की आराधना होती है। यहां आज भी माता की आरती खप्पर से की जाती है, जो श्रद्धालुओं की गहरी भक्ति और परंपरा के प्रति निष्ठा को दर्शाती है।
राजा विक्रमादित्य से जुड़ी कथा…
महंत मोहन गिरी के अनुसार, इस मंदिर का संबंध राजा विक्रमादित्य से भी है। कहानी के अनुसार, उज्जैन के शासक विक्रमादित्य ने काशी में मां हरसिद्धि की आराधना की थी और उनसे उज्जैन चलने की प्रार्थना की थी।
माता ने शर्त रखी कि उनके चरण वहीं तरावली में रहेंगे। जब राजा उज्जैन ले जाने लगे, तो सुबह होने पर माता तरावली के जंगल में विराजमान हो गईं।

आखिरकार माता ने शीश उज्जैन भेजने की अनुमति दी, जबकि धड़ तरावली में और चरण काशी में विराजमान रहे।
वाह्य नदी का उद्गम स्थल…
कहा जाता है कि पूजा के दौरान राजा विक्रमादित्य को स्नान हेतु जल की आवश्यकता पड़ी, तब माता हरसिद्धि ने अपने हाथों से जलधारा प्रवाहित की, जिससे वाह्य नदी का उद्गम हुआ।
तब से यह नदी इस स्थान की पवित्र पहचान बन गई है।

धार्मिक और प्राकृतिक महत्व का संगम…
तरावली स्थित मां हरसिद्धि धाम न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहां का प्राकृतिक सौंदर्य भी भक्तों को आकर्षित करता है।
यह स्थान आस्था, इतिहास और प्रकृति का अद्भुत मेल है।
यहां की उल्टी परिक्रमा की परंपरा, संतान प्राप्ति की मान्यता, और राजा विक्रमादित्य से जुड़ी कथा इस मंदिर को मध्यप्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक बनाती है।
