Jagannath Rath Yatra: सागर जिले के गढ़ाकोटा के जगन्नाथ स्वामी मंदिर में भगवान जगन्नाथ बीमार होने के कारण इस समय आराम कर रहे है.बीमार पड़ने के बाद भगवान जगन्नाथ का इलाज वैद्य द्वारा किया जा रहा है. भगवान जगन्नाथ की सेहत में अब सुधार है. वैद्य ने भगवान जगन्नाथ की नाड़ी देखकर सेहत का परीक्षण किया. अब भगवान को मूंग की दाल का पानी और औषधियुक्त काढ़ा देने की सलाह दी गई है.
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14 दिन पहले बीमार हुए थे जगन्नाथ
बुंदेलखंड के ऐतिहासिक जगन्नाथ स्वामी मंदिर गढ़ाकोटा में डेढ़ सौ साल से ज्यादा समय से चली आ रही रथयात्रा की तैयारियां जोरों पर हैं.मान्यता है कि जो भक्तगण पुरी नहीं जा पाते हैं, वे गढ़ाकोटा पहुंचकर पुरी जैसे दर्शन का सौभाग्य प्राप्त करते हैं. रथ यात्रा की पहले सभी परंपराएं विधिवत निभाई जाती हैं. 14 दिन पहले बीमार हुए भगवान की नाड़ी देखकर इलाज करने की परंपरा गढ़ाकोटा का तिवारी परिवार तीन पीढियों से निभा रहा है.
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Jagannath Rath Yatra: 167 साल पुरानी परंपरा
सागर के गढ़ाकोटा में 167 साल से जगन्नाथ पुरी की तरह रथयात्रा निकाली जा रही है. रथयात्रा के दिन गढ़ाकोटा में भगवान जगन्नाथ के दर्शनों के लिए जनसैलाब उमड़ता है. रथ यात्रा के ठीक 14 दिन पहले भगवान बीमार पड़ जाते हैं. पिछली तीन पीढ़ियों से वैद्य परम्परा निभा रहे तिवारी परिवार के वैद्य पं.अम्बिकाप्रसाद तिवारी ने मदिर पहुंचकर भगवान की नब्ज टटोली और नब्ज के हिसाब से भगवान के लिए औषधि दी.
Jagannath Rath Yatra: तीन पीढ़ियों से निभा रहा परम्परा
अम्बिकाप्रसाद तिवारी के पूर्वज 3 पीढ़ियों से वैद्य का दायित्व निभा रहे हैं. पुरी की तर्ज पर गढ़ाकोटा में भी प्रतिवर्ष आषाढ़ महीने की दोज को भगवान जगन्नाथ स्वामी, बलदाऊ भैया, बहन सुभद्रा की रथयात्रा निकलने का सिलसिला अनवरत चल रहा है. धर्म से जुड़े लोगों का मानना है कि जो लोग भगवान जगन्नाथ स्वामी की रथ यात्रा में पुरीनहीं पहुंच पाते, वे गढ़ाकोटा की रथयात्रा में शामिल होकर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं.
Jagannath Rath Yatra: बंटेगा प्रसाद
आषाढ़ प्रतिपदा को भगवान जगन्नाथ स्वामी को दाल-चावल मिश्रित खिचड़ी कर सेवन कराया जाता है. इसके अगले दिन रथदोज को मंदिर में मालपुआ तथा पुड़ी सहित छप्पन भोग का भोग लगाया जाता है. उसी दिन भगवान जगन्नाथ स्वामी की पूरे नगर में भव्य रथयात्रा निकाली जाती है. इस वर्ष 7 जुलाई रविवार को प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकलेंगे. साथ ही भक्तों को शुद्ध घी से बने मालपुये का प्रसाद दिया जाता है.