
क्या आपने कभी किसी सुबह उठकर अचानक ये महसूस किया है कि ज़िंदगी कुछ ज़्यादा ही उलझी हुई लग रही है? जैसे हर चीज़ हाथ से फिसलती जा रही हो समय, रिश्ते, ख़ुशियाँ, और सबसे अहम खुद की पहचान।
कई बार ज़िंदगी को बदलने के लिए किसी बहुत बड़ी घटना की ज़रूरत नहीं होती। बस कुछ छोटे-छोटे बदलाव, जो हम रोज़मर्रा की ज़िंदगी में लाते हैं, वही हमारे सोचने का तरीक़ा और जीने का अंदाज़ बदल सकते हैं।
आज मैं आपको पांच ऐसे बदलावों के बारे में बताने जा रही हूँ, जो मैंने खुद अपनी ज़िंदगी में अपनाए और यकीन मानिए, फर्क सिर्फ़ नज़र नहीं आया, महसूस भी हुआ।
1. दिन की शुरुआत फोन के बिना करें
सुबह उठते ही सबसे पहले फोन उठाना हम सबकी आदत बन चुकी है।
- WhatsApp,
- Instagram,
- Emails…
और दिन शुरू होने से पहले ही दिमाग़ ख़राब हो जाता है।
मैंने एक हफ़्ते तक सुबह उठते ही सिर्फ़ खिड़की से बाहर देखना शुरू किया। बस 5 मिनट कोई स्क्रीन नहीं, कोई फ़ोन नहीं। यकीन मानिए, ऐसा लगा जैसे दिमाग़ को नई हवा मिल गई हो।
Try this: अलार्म बंद करने के बाद फोन को साइलेंट मोड में रख दीजिए, और दिन की शुरुआत अपने विचारों से कीजिए।
2. “ना” कहना सीखिए बिना गिल्ट के
हम भारतीयों में एक आदत है हर किसी को ख़ुश रखने की। दोस्त का फ़ोन आया, बॉस ने ओवरटाइम मांगा, पड़ोसी ने कार माँगी और हम “हाँ” कहकर खुद को थका लेते हैं।
जब मैंने धीरे-धीरे “ना” कहना सीखा, तो मेरा आत्म-सम्मान भी बढ़ा, और थकान भी कम हुई।
Try this: जब अगली बार कोई आपसे कुछ ऐसा मांगे, जो आपके मन के खिलाफ़ हो एक बार सोचिए, क्या ये “ना” कहना आपके लिए ज़रूरी है?
3. एक ‘ध्यान का कोना’ बनाएँ
हर घर में पूजा का कमरा होता है.. पर क्या आपने कभी खुद के लिए एक मानसिक शांति का कोना सोचा है?
मैंने अपने कमरे के एक कोने में एक छोटा सा ग्रीन प्लांट रखा, एक मोमबत्ती, और एक डायरी। वहां रोज़ 10 मिनट बैठती हूँ बस खुद के साथ।
Try this: कोई शोर-शराबे से दूर कोना चुनिए और उसे अपना mental detox zone बना लीजिए।
4. हर हफ़्ते एक दिन ‘डिजिटल डिटॉक्स’ का रखिए
एक रविवार ऐसा बिताइए जिसमें कोई स्क्रीन न हो। न Netflix, न scrolling.
पहले-पहले अजीब लगेगा, पर फिर..
- जब आप अपने परिवार की हंसी,
- बच्चों की बातें,
- या अकेले में चाय की चुस्की
का मज़ा लेंगे तो लगेगा जैसे आपने ज़िंदगी को फिर से छू लिया हो।
Try this: एक दिन तय कीजिए चाहे आधा ही दिन हो, लेकिन उसे स्क्रीन से फ्री रखिए।
5. खुद से दोस्ती कीजिए
- हम दूसरों से हज़ार तरह की बातें करते हैं, पर क्या कभी खुद से बात की है?
- आइने में देखकर खुद से पूछा है “क्या हाल है?”
मैंने जब अपनी डायरी में खुद से लिखना शुरू किया, तो कई बार रोई, कई बार हंसी, और कई बार बस सुकून मिला।
Try this: हफ़्ते में एक बार खुद को चिट्ठी लिखिए। जो मन में है, वही काग़ज़ पर उतार दीजिए।
ज़िंदगी कोई बड़ी फिल्म नहीं, जहाँ बदलाव अचानक से होता है। ये तो छोटे-छोटे सीन होते हैं, जो मिलकर हमारी कहानी बनाते हैं।
इन पाँच आदतों को अपनाने से आपको सुपरहीरो जैसी फ़ीलिंग नहीं आएगी पर हाँ, आप खुद को थोड़ा ज़्यादा समझ पाएंगे। थोड़ा ज़्यादा सुकून मिलेगा, और सबसे ज़रूरी आप खुद से प्यार करना सीखेंगे।
क्योंकि असली बदलाव वहीं से शुरू होता है।
