कोलकत्ता में चलने वाली ट्राम कलकत्ता वासियों के लिये सिर्फ आवागमन के साधन के साथ किफायती दर में परिवहन
के साथ यह इस शहर में एक परंपरा की तरह चलती है I पश्चिम बंगाल सरकार ने इस 150 साल पुरानी सेवा को बंद
करने का फैसला लिया है I चूंकि पश्चिम बंगाल सरकार इस परंपरा को पूरी तरह से बंद नहीं करना चाहती इसलिए
इसे सिर्फ एक छोटे से रूट में चलाएगी I ट्राम को बंद करने की वजह नये और तेज वाहन साधनों की बढ़ती संख्या और
ट्रैफिक में बढ़ोतरी है I
ट्राम का इतिहास
कोलकत्ता में ट्राम का सफर 1873 में शुरू हुआ था और इस समय ट्राम को चलाने के लिये घोड़ो का इस्तेमाल किया
जाता था I साल 1902 में इलेक्ट्रिक ट्राम की शुरुआत की गई थी और इस शुरुआत के साथ ही ट्राम कलकत्ता वासियों
के आवागमन का मुख्य साधन बन गई हुए ये इस शहर की परंपरा बन गई I हालांकि बदलते वक़्त के साथ तेज वाहनों
के आवागमन से ट्राम की रफ़्तार धीमे पड़ने लगी I
कोलकत्ता में 2011 तक 37 रूटस थे जो घटकर 2018 में 8 ही बचे वहीँ 2011 से 2018 के बीच ट्रामे 68 किलोमीटर से मात्र 15 किलमीटर का सफर ही तय करती थी और यात्रियों की कुल संख्या भी करीब 70000 से घटकर 7000 हो गई थी I चूंकि ट्राम कलकत्ता की परंपरा है और इतिहास का हिस्सा है इसी वजह से पश्चिम बंगाल सरकार इसे पूरी तरह से बंद करने के पक्ष में नहीं है और इसी परंपरा को कायम रखने के लिये एक योजना के अंतर्गत करीब साढ़े 3 किलोमीटर के रूट पर ट्राम चलाने का निर्णय लिया गया है जो धर्मतला से मैदान तक चलेगी I इसके आलावा ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के पास 269 ट्रामे हैँ इन ट्रामो का कैसे उपयोग हो इस पर कोई ठोस विचार नहीं हुआ है लेकिन इन ट्रामो का उपयोग
रेस्टोरेंट, म्यूजियम, लाइब्रेरी जैसे कई सुझावों पर विचार किया जा रहा है I