Khedapati Hanuman Temple MP: मध्य प्रदेश के देवास शहर में स्थित खेड़ापति हनुमान मंदिर धार्मिक आस्था का प्रसिद्ध स्थान है। पुराना बस स्टैंड और शहर के मध्य क्षेत्र में स्थित होनेके कारण यहां रोजाना बड़ी संख्या में भक्त हनुमान जी के दर्शन करने आते हैं।
Read More: Lingeshwari Mata Temple CG: जहां रेत के निशान बताते हैं आने वाले साल का भविष्यफल!
यह मंदिर न सिर्फ देवास की पहचान है, बल्कि लोगों की आध्यात्मिक ऊर्जा का भी प्रमुख स्त्रोत है।
स्वयंभू प्रतिमा की अनोखी कथा…
स्थानीय लोककथाओं के अनुसार, यह मंदिर कई सदियों पुराना है। कहा जाता है कि यहां स्थापित हनुमान जी की प्रतिमा स्वयंभू (स्वतः प्रकट) मानी जाती है।
कथा के अनुसार, एक ग्रामीण किसान जब अपने खेत में हल चला रहा था, तभी मिट्टी के भीतर से हनुमान जी की यह प्रतिमा प्रकट हुई। इस घटना को दैवी चमत्कार माना गया और उसी स्थान पर बाद में एक छोटा मंदिर बनाया गया।
खेड़ापति हनुमान—‘खेती और जीवन की रक्षा करने वाले’
समय बीतने के साथ यह छोटा मंदिर भव्य रूप लेता गया। चूंकि यह प्रतिमा खेत से प्राप्त हुई थी, इसलिए भक्त उन्हें ‘खेड़ापति हनुमान’ कहते हैं, जिसका अर्थ है — खेती, जीविका और जीवन की रक्षा करने वाले हनुमान।
आज भी किसान और आम लोग यहां आकर समृद्धि और सुरक्षा की प्रार्थना करते हैं।

मंगलवार–शनिवार की विशेष भक्ति और भीड़…
हर मंगलवार और शनिवार को मंदिर में विशेष आयोजन होते हैं, जिनमें मंगल आरती, भजन संध्या, सुंदरकांड पाठ, प्रसादी वितरण शामिल हैं।
इन दिनों मंदिर परिसर श्रद्धालुओं की भीड़ से भरा रहता है। भक्तों का मानना है कि सच्चे मन से की गई प्रार्थना यहां जल्दी फल देती है और जीवन के संकट दूर होते हैं।
यो पोस्ट Instagram मा हेर्नुहोस्
धार्मिक ही नहीं, सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण स्थान…
खेड़ापति हनुमान मंदिर देवास के सांस्कृतिक जीवन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यहां समय-समय पर राम कथा, धार्मिक प्रवचन, भजन संध्या, हनुमान जयंती पर विशेष आयोजन होता रहता है।

जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें शहर और आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं।
शांति, सादगी और आस्था का अनोखा संगम…
खेड़ापति हनुमान मंदिर हर आयु, हर वर्ग और हर समुदाय के लोगों को श्रद्धा से जोड़ता है। यहां आने वाला हर भक्त आत्मिक शांति अनुभव करता है। वर्षों से यह मंदिर यही संदेश देता आया है—
“सच्चे भाव और श्रद्धा से की गई भक्ति कभी व्यर्थ नहीं जाती।”
