Kawad Yatra 2024: कांवड़ यात्रा एक प्रमुख हिंदू तीर्थयात्रा है, जिसमें शिव भक्त पवित्र नदियों का जल लेकर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं। यह यात्रा सावन और फाल्गुन में शुरू होती है, और इस बार सावन में शुरू हो रही है।कांवड़ यात्रा का इतिहास सावन का महीना भगवान शिव को बहुत प्रिय है। इस महीने में शिवभक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कांवड़ यात्रा निकालते हैं और पवित्र नदी का जल लेकर कठिन व्रत का पालन करते हुए शिवलिंग पर अर्पित करते हैं। मान्यता है कि इससे भक्त की मनोकामना पूरी होती है।
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पहला कांवड़िया कौन था ?
किंवदंतियों के अनुसार, भगवान परशुराम पहले कांवड़िया थे, जिन्होंने गढ़मुक्तेश्वर से गंगा का जल लेकर बागपत जिले के पुरा महादेव में भगवान शिव का अभिषेक किया था। एक अन्य मान्यता के अनुसार, रावण ने समुद्र मंथन के बाद शिवजी को जल अर्पित किया था, जिससे यह परंपरा शुरू हुई।
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Kawad Yatra 2024: कांवड़ यात्रा के नियम क्या हैं
- कांवड़ियों को संयम और ब्रह्मचारी का जीवन जीना होता है।
- गंगाजल भरने से लेकर शिवलिंग पर अर्पित करने तक नंगे पांव यात्रा करनी होती है।
- यात्रा के दौरान नशा और मांसाहार से दूर रहना चाहिए।
- अपशब्द बोलने और अशुद्धता से बचना चाहिए।
कौन से प्रमुख स्थान हैं
मेरठ का औघड़नाथ, वाराणसी का काशी विश्वनाथ, झारखंड का वैद्यनाथ और बंगाल का तारकनाथ मंदिर प्रमुख स्थान हैं जहां कांवड़िये जल चढ़ाते हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोग हरिद्वार से जल लेकर पुरा महादेव और आसपास के शिवालयों में जल चढ़ाते हैं।इस प्रकार, कांवड़ यात्रा भगवान शिव की भक्ति का एक महत्वपूर्ण और पवित्र रूप है, जिसमें श्रद्धालु कठिन नियमों का पालन करते हुए शिवजी को प्रसन्न करते हैं।