
KATNI MATA TEMPLE
KATNI MATA TEMPLE: हमारे देश में कई प्रचीन देवी मंदिर है, जो चमत्कारों और रहस्यों से भरे हुए है। जिनसे भक्तों की गहरी आस्था है। देवी मां के मंदिर देखने में जितने विशाल और आलौकिक है उतनी ही इस मंदिरों के बनने की कहानियां। आज हम आपको ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जो ढ़ाई सौ साल पुराना है। हम बात कर रहे है, मध्यप्रदेश के कटनी जिले में स्थित मां जालपा मंदिर की। सालों पहले बारडोली क्षेत्र में घनघोर जंगल हुआ करता था। और इसी जंगल में आज मां जालपा का विशाल मंदिर है। जहां दूर दूर से भक्त मां के दर्शन करने आते है।

KATNI MATA TEMPLE: एक कहानी सबसे ज्यादा प्रचलित
वैसे तो मां जालपा की उत्पत्ति की कई कहानिया है लेकिन एक कहानी सबसे ज्यादा प्रचलित है। कहा जाता है साल 1766 में रीवा जिले के निवासी बिहारीलाल पंडा को मां ने स्वप्न में बुलावा दिया था। उसके बाद वे कटनी आए. यहां बांस के जंगल में माता रानी प्रकट हुई थी। बिहारीलाल पंडा आकर माता की सेवा करने लगे। और मां की की कृपा से धीरे-धीरे इस जंगल में एक भव्य मंदिर का निर्माण किया गया।
KATNI MATA TEMPLE: अखंड ज्योत, जवारे और कलश विशेष आकर्षण का केंद्र
मां जालपा मंदिर में अखंड ज्योत, जवारे और कलश विशेष आकर्षण का केंद्र हैं। यहां विराजी मां जालपा की प्रतिमा सिल के आकार की है। मां काली और शारदा की प्रतिमाएं भी स्थापित की गईं। मंदिर परिसर में हनुमानजी और भैरव बाबा भी विराजमान हैं। साल के 365 दिन यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है, विशेषकर नवरात्रि में यहां का दृश्य अलौकिक होता है।
बिहारीलाल पंडा की पांचवी पीढ़ी कर रही पूजा
KATNI MATA TEMPLE: मां जालपा की सेवा अब बिहारीलाल पंडा की पांचवी पीढ़ी कर रही है। लालजी पंडा पुरे मंदिर की देखरेख करते है, साथ ही मैया का पूजन भी। पूरे साल मां के मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है। दूर दूर से भक्त मां के दर्शन करने आते है। और भक्तों का कहना है कि यहां सभी की मनोकामना पूरी होती है।