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विधि-विधान से पूजा करने से पति की लम्बी उम्र और प्रेम दोनों प्राप्त होते हैं
करवा चौथ का पर्व भारतीय संस्कृति में विवाहित महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। हर वर्ष इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन का प्रमुख आकर्षण चंद्रमा का दर्शन और पूजा होती है, जिसके बाद व्रत को तोड़ा जाता है।
चांद निकलने का समय
करवा चौथ के दिन चंद्रमा के उदय का समय स्थान और समय क्षेत्र के अनुसार भिन्न होता है। आमतौर पर, उत्तर भारत में चांद रात 07:54 बजे निकलता है। हालांकि, सभी महिलाएं अपने-अपने स्थान का सटीक समय पंचांग या स्थानीय समाचार में देख सकती हैं।
पूजा का शुभ महुर्त
- करवा चौथ पूजा मुहुर्त – 05:46 PM to 07:02 PM
- करवा चौथ उपासना का समय – 06:25 AM to 07:54 PM
- करवा चौथ पर चंद्रमा के दर्शन और पूजा के लिए कुछ विशेष तैयारियाँ की जाती हैं, जो इस पर्व की परंपरा और महत्व को दर्शाती हैं।
पूजा स्थल की सजावट
घर के आंगन या छत पर पूजा का स्थान साफ करें और उसे रंगोली या फूलों से सजाएं। पूजा के लिए एक चौकी पर सफेद या लाल वस्त्र बिछा सकते हैं और उस पर पूजा की सामग्री रखें।
पूजा सामग्री तैयार करना
करवा (मिट्टी या तांबे का कलश), दीया, अगरबत्ती, चावल, हल्दी, सिंदूर, मिठाई, और फल जैसे आवश्यक सामग्री पहले से तैयार रखें। छलनी, पानी से भरा लोटा और मिट्टी का दीपक भी रखें।
सोलह श्रंगार करना
महिलाएं नई साड़ी या लहंगा पहनती हैं और गहने धारण करती हैं।इस दिन विवाहित महिलाएं सुंदर कपड़े पहनती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं। इसके बाद वे अपने पूजा स्थलों को सजाती हैं।
कथा सुनना
सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। उन्हें लौंग और बताशे चढ़ाए जाते हैं। पूजा से पहले या उसके दौरान करवा चौथ की कथा सुनें या पढ़ें। यह कथा व्रत की महिमा और महत्व को दर्शाती है।
चंद्रमा का इंतजार
चंद्रमा के उदय के समय के करीब छत या खुले स्थान पर जाएं। छलनी और लोटे को साथ रखें, जिससे चंद्रमा का दर्शन किया जा सके।
पूजा की विधि
- चंद्रमा को अर्घ्य दें (जल चढ़ाएं) और दीपक जलाएं।
- छलनी से चंद्रमा को देखें और फिर अपने पति का दर्शन करें।
- पति के हाथों से पानी पीकर व्रत तोड़ें।
इन तैयारियों के माध्यम से, महिलाएं न केवल अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए प्रार्थना करती हैं, बल्कि यह पर्व उनके धैर्य और समर्पण का प्रतीक भी बनता है। पति अपनी पत्नी को पानी पिलाकर व्रत तुड़वाते हैं। इसके बाद महिलाएं भोजन ग्रहण करती हैं।
करवा चौथ का व्रत न केवल पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत करता है बल्कि यह महिलाओं को उनकी आस्था और शक्ति का एहसास भी कराता है। यह पर्व प्रेम, समर्पण और आस्था का प्रतीक है, जो सदियों से भारतीय समाज में विवाहित जीवन का अभिन्न अंग बना हुआ है।