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बेंगलौर से शिफ्ट करने की चेतावनी के बाद कर्नाटक सरकार हिली
Karnataka Govt halts : कर्नाटक सरकार ने हाल ही में निजी क्षेत्र में कन्नड़ भाषियों के लिए आरक्षण लागू करने का फैसला किया था, लेकिन उद्योग जगत और राजनीतिक वर्ग के तीखे विरोध के बाद वह इस फैसले पर पलट गई है।
सरकार ने राज्य कैबिनेट द्वारा मंजूरी दिए जाने के कुछ घंटों बाद ही इस विधेयक पर अस्थायी रोक लगा दी। इस विधेयक में निजी क्षेत्र में 50% प्रबंधन पदों और 100% गैर-प्रबंधन पदों पर कन्नड़ भाषियों के लिए आरक्षण का प्रावधान था।
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राज्य सरकार का यूटर्न
राज्य सरकार ने अस्थायी रूप से इस विधेयक पर रोक लगाकर एक बार फिर से इस मुद्दे पर विचार करने का फैसला किया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे क्या होता है।
उद्योग जगत ने कर्नाटक सरकार के निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू करने के फैसले की कड़ी आलोचना की। उनका मानना था कि यह फैसला निवेश को प्रभावित करेगा और कंपनियों के लिए कर्मचारियों को चुनने की स्वतंत्रता पर असर डालेगा।
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उद्योग जगत की प्रतिक्रिया
इंफोसिस के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी टीवी मोहनदास पई ने इस विधेयक को “प्रतिगामी, भेदभावपूर्ण और संविधान के खिलाफ” करार दिया। उन्होंने कहा कि इस विधेयक को रद्द कर दिया जाना चाहिए।
बायोकॉन की मैनेजिंग डायरेक्टर किरण मजूमदार शॉ ने कहा कि तकनीकी केंद्र के रूप में उन्हें कुशल प्रतिभा की आवश्यकता है और हालांकि उनका उद्देश्य स्थानीय लोगों को रोजगार देना है, लेकिन ऐसी शर्तें होनी चाहिए जो अत्यधिक कुशल भर्ती को इस नीति से छूट दे।
उद्योग जगत ने इसे “फासीवादी और अदूरदर्शी” कहा कि यह फैसला निवेश को प्रभावित करेगा और कंपनियों के लिए कर्मचारियों को चुनने की स्वतंत्रता पर असर डालेगा।
इस प्रकार, उद्योग जगत ने कर्नाटक सरकार के इस फैसले की कड़ी आलोचना की और इसे “प्रतिगामी”, “भेदभावपूर्ण” और “संविधान के खिलाफ” करार दिया।