Kargil Vijay Divas Hindi: साल 1999.. जम्मू कश्मीर के कारगिल में पाकिस्तानी सेना आतंकियों के भेष में घुस गई. और नेशनल हाईवे जैसे महत्वपूर्ण रास्ते को आसानी से निशाना बनाने के लिए हिमालय की चोटियों पर बैठ गई, जब सेना को खबर मिली तो जवाबी कार्रवाई की गई लेकिन टाइगर हिल पर फतह हासिल करने में भारतीय सेना को मुश्किलें आ रही थी, तब सेना की 18 ग्रेनेडियर्स को बुलाया गया।
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किसान परिवार में जन्मे शक्ति सिंह
18 ग्रेनेडियर्स के शक्ति सिंह इसी बटालियन में कारगिल युद्ध लड़ने पहुंचे, 10 सितंबर 1968 को हरियाणा के गांव भगाना में किसान परिवार में जन्मे शक्ति सिंह ने कारगिल युद्ध में 15 मई से 4 जुलाई तक लड़ाइ लड़ी। पाकिस्तानी सीमा के पास सबसे पहले उन्होंने द्रास सेक्टर में ऊंची चोटी पर बैठे पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों को मार गिराया। अगला टार्गेट टाइगर हिल को जीतना था।
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भूखे-प्यासे रहकर लड़ी जंग
शक्ति सिंह की टीम ऐसी जगहों पर फंसी थी, जहां ना तो पानी पहुंच सकता था, ना खाना। जो चीजें साथ ले गए थे, वह खत्म हो गईं। ऐसे में उन्हें भूखे-प्यासे ही युद्ध लड़ना पड़ा। उन्होने बताया कि तब इतना जोश था कि इन सब बातों की परवाह नहीं की। दुश्मन काफी उंचाई पर था,जवानों को सीधा निशाना बना रहा था।
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Kargil Vijay Divas Hindi: जांघ में 2 गोलियां
लड़ाई में बटालियन के 32 जवान घायल हुए और 37 जवान शहीद हो गए। शक्ति सिंह ने भी दुश्मन की गोलियों का सामना किया। चोटी पर विजय मिली पर डॉक्टरों को शक्ति सिंह के पैर काटने पड़ें। आज भी दुश्मनों की दो गोलियां उनकी जांघों में धंसी हुई हैं। पूरे शरीर पर गोलियों के निशान हैं। फिर भी वे उतने ही जोश के साथ अपनी जीत की कहानी सुनाते हैं। उनका कहना है की यह उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है। उनकी बहादुरी के लिए राष्ट्रपति ने उनको सेना मेडल से सम्मानित किया।