
Kailash mansarovar yatra 21 की जगह की यात्रा 10 दिन में पूरी होगी
चीन के तिब्बत में कैलाश मानसरोवर यात्रा की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। यात्रा के लिए भारतीयों का पहला जत्था जून के पहले सप्ताह में रवाना होने की उम्मीद है, जो 2019 से बंद है। चीन से सहमति बनने के बाद विदेश मंत्रालय और उत्तराखंड सरकार की पहली बैठक हाल ही में हुई थी। सरकारी सूत्रों के मुताबिक यात्रा में इस बार काफी बदलाव देखने को मिलेंगे।
पहला पड़ाव टनकपुर, हल्द्वानी में होगा
नई दिल्ली से रवाना होने के बाद यात्रियों का पहला पड़ाव लगभग 330 किमी दूर टनकपुर में होगा, जो पहले हल्द्वानी में था। दूसरा, यह नई दिल्ली से लिपुलेख दर्रे तक वाहनों से जाएगी। लिपुलेख दर्रे के दूसरी ओर चीन सीमा शुरू होती है, जहां पाथर की वजह से दो लेन की सड़क बनी है, जहां से बसें कैलाश जाएंगी।
Kailash mansarovar yatra एक ही दिन में लिपुलेख दर्रे तक यात्रा
पिथौरागढ़ पर्यटन अधिकारी कीर्तिराज आर्य ने बताया कि हमने तैयारी शुरू कर दी है। इस बार यह धारचूला से तवाघाट होते हुए एक ही दिन में लिपुलेख दर्रे से 30 किमी पहले गनुजी गांव पहुंचेगी। पहले इसमें 8 दिन लगते थे। अब दिल्ली से शुरू करते हुए चौथे या 5वें दिन कैलाश क्षेत्र में रहेंगे। लौटने में उतना ही समय लगेगा। इसके साथ ही 24 दिन में पूरी होने वाली यात्रा 10 दिन में पूरी होगी।
2019 में क्या था प्लान
नई दिल्ली से हल्द्वानी होते हुए, फिर धारचूला से तवाघाट तक का सफर गाड़ियों से तय होता था। इसके बाद गुंजी और लिपुलेख दर्रे तक का 95 किमी का सफर 8 दिन पैदल ही तय करना पड़ा। कैलाश से गुंजी, कालापानी, नवीढांग आने-जाने के लिए 23 रातें बितानी पड़ती थीं।
2025 में क्या होगा नया रूट प्लान
सुबह 7 बजे नई दिल्ली से रवाना होने के बाद यात्री रात 8 बजे तक टनकपुर पहुंच जाएंगे। वे रात में यहीं रुकेंगे। अगले दिन शाम तक आप धारचूला पहुंच जाएंगे। वहां एक दिन बिताएं और उसी सड़क पर लौट आएं। जिसमें 8 या 9 रातें बीत जाएंगी। कुमाऊं मंडल विकास निगम की बूढ़ी, गुंजी, नवीढांग और लिपुलेख में हर मौसम में रहने लायक टेंट होमस्टे होंगे, जहां खाना, गर्म कपड़े, वाहन उपलब्ध होंगे।