Jyoti Kalash Temple CG: छत्तीसगढ़ अपने सांस्कृतिक , धार्मिक और ऐताहासिक धरोहरों का संगम माना जाता है, यहां कई अनोखे, रहस्यमयी मंदिर है, जो अपने अद्भुत कलाकृतियों और ऐतिहासिक मान्यताओं के लिए काफी प्रसिद्ध है, इनमें से एक ऐसा अनोखा मंदिर है जिसे मिट्टी की कलश से बनाया गया है।
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कहां है ये मंदिर?
यह मंदिर छत्तीसगढ़ राज्य के दुर्ग जिले के मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर धमधा क्षेत्र में है, यहां भगवान हनुमान के भजन भक्तों के कानों में गूंजते है। यहां इतने शोर होने के बाद भी चारों तरफ सकारात्मक वातावरण और शांति की अनुभूति होती है।
इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां पत्थर, सीमेंट किसी का उपयोग नहीं किया गया है।

मंदिर में विराजमान है संकटमोचन
आपने संगमरमर के पत्थर, लकड़ी, पत्थर के कई मंदिर देखे होंने लेकिन यह मिट्टी के कलश और दीये से बना मंदिर है और इस मंदिर में संकट मोचन हनुमान जी की प्रतिमा विराजमान है। यह मंदिर को ज्योति कलश मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। यह छत्तीसगढ़ से ही नहीं बल्कि दूर – दूर दूसरे राज्यों से भी भगवान के दर्शन करने आते हैं।
कितनी है मंदिर की लंबाई?
इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 55 फीट है, बताया जाता है कि इस मंदिर को गांव के लोगों ने मिलकर बनाया है। यहां भगवान के दर्शन करने से मात्र से सुकून की अनुभूति होती है। मंदिर की आकृति देखकर श्रद्धालु हैरान रह जाते हैं।
मंदिर की मान्यता है कि जो भक्त यहां भगवान हनुमान के दर्शन करने आते हैं, उनके सारे कष्ट और उनके जीवन की निगेटिव एनर्जी खत्म हो जाती है।

कलश से बनाने के पीछे का रहस्य
स्थानीय निवासी बताते है क, यहां दिवाली और नवरात्र के समय भक्त खूब दीपक और कलश जलाते थे, और बाद में जब धार्मिक पर्व खत्म हो जाए तो वो मिट्टी के कलश और दियों को नदी में प्रवाहित कर देते थे, जिससे कलश नदी के किनारे आ जाते थे, इससे उसमें लोगों का पैर लगता था, जिससे पूजा सामग्री का अपमान होता था।
इस वजह से गांव के लोगों ने तय किया कि इन कलश को विसर्जित नहीं करेंगे बल्कि इन कलशो का उपयोग मंदिर बनाने में किया जाएगा इससे कलश का इस्तेमाल भी हो जाएगा और यह पू्ज्यनीय भी रहेंगे।
15 साल पुराना यह ज्योति कलश मंदिर…
छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित यह मंदिर लगभग 15 साल पुराना है, इस मंदिर में अब तक लगभग 1.5 लाख ज्योति कलशों का उपयोग किया जा चुका है, यहां लोग छत्तीसगढ़ के अलावा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और ओडिसा से भी भक्त दर्शन करने आते हैं।

