Jagannath Rath Yatra Live: महा-स्नान पर बीमार हुए भगवान जगन्नाथ आज सुबह ठीक हुए, इसलिए रथयात्रा से पहले होने वाले उत्सव भी आज ही मनाए जा रहे हैं। रायपुर के गायत्री नगर स्थित भगवान जगन्नाथ के मंदिर में सुबह से ही भक्त पहुंचने लगे हैं।मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय मंदिर ने मंदिर पहुंचकर भगवान की आरती और पूजन किया। उनके साथ कैबिनेट मंत्री रामविचार नेताम और सांसद बृजमोहन अग्रवाल भी हैं। सांसद अपने सिर पर कलश लेकर आगे-आगे चले। इस मंदिर में सालों से आयोजित होने वाले रथयात्रा कार्यक्रम में मुख्यमंत्री और राज्यपाल पूजा करते हैं।
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Jagannath Rath Yatra: सीएम साय ने निभाई छेरपहरा रस्म
सीएम विष्णुदेव साय ने छेरापहरा की रस्म अदा की भगवान के पथ पर CM और राज्यपाल झाड़ू लगाई. वहीं टूरी-हटरी में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर में शनिवार शाम को भगवान जगन्नाथ के साथ, बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा ने दर्शन दिए। रविवार सुबह महंत राम सुंदर दास के नेतृत्व में अभिषेक, हवन, पूजन के बाद दोपहर में भगवान रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे।
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40 साल बाद बना नया रथ
टूरी-हूटरी स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर के लिए 40 साल बाद नया रथ बनाया गया है। इस रथ को रायपुर के ही हबीब खान ने अपने बेटे रियाज खान के साथ मिलकर रथ तैयार किया है। हबीब ने इससे पहले नागपुर और गोंदिया के लिए रथ बनाया था। उन्होंने बताया कि रथ में नीम और सरई की लकड़ी का प्रयोग किया गया है। इसके पहियों में खास नक्काशी की गई है।
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Jagannath Rath Yatra Live: रथ की ख़ासियत
इस रथ की ख़ासियत यह है कि इसमें स्टीयरिंग और ब्रेक भी लगाया गया है। टूरी-हटरी से निकलने वाली रथयात्रा के दौरान तंग गलियों में भीड़ की वजह से रथ को कंट्रोल करना मुश्किल होता था। इस वजह से 2009 में रथयात्रा का रूट हनुमान चौक से सत्ती बाजार के बजाय सीधे तात्यापारा चौक कर दिया गया था। अब यात्रा पुराने रूट से होकर गुजरेगी।रथ में 80 प्रतिशत सरई की लकड़ी और 20 प्रतिशत नीम की लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है। रथ बनाने वाले कलाकार हबीब खान ने बताया कि, रथ की लंबाई 17 फीट और चौड़ाई लगभग साढ़े दस फीट है। रथ के गुंबद को मिलाकर इसकी ऊंचाई लगभग 16 फीट के है। इसके कारण भगवान जगन्नाथ का नया रथ वजन में हल्का है।
500 साल पुराना है टूरी-हूटरी स्थित मंदिर
टूरी-हटरी, पुरानी बस्ती के जगन्नाथ मंदिर को साहूकार मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर में भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा स्थापित होने के बाद भी इसे जगन्नाथ मंदिर के रूप में पहचान नहीं मिली। इस मंदिर का इतिहास लगभग 500 साल पुराना है। मंदिर का निर्माण अग्रवाल परिवार ने कराया था। अंग्रेजों के शासन काल में एक अग्रवाल साहूकार ने इस मंदिर का विस्तार किया गया। टूरी-हटरी में स्थापित महाप्रभु की प्रतिमा पुरी में स्थापित प्रतिमा के ही समान है। मान्यता है कि मंदिर में स्थापित भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र की प्रतिमाएं पुरी से लाई गईं थीं।