सलीम ने 20 साल पहले लेबनान के प्रधानमंत्री की हत्या की थी
हिजबुल्ला कमांडर सलीम जमील अयाश इजरायली सेना के हवाई हमले में मारा गया था। टाइम्स ऑफ इज़राइल के अनुसार, सलीम सीरिया में हिजबुल्लाह के गढ़ अल-कुसैर में छिपा हुआ था। सलीम के अलावा इजरायली सेना के हमले में आठ और लोग मारे गए थे।
ईरान के विदेश मंत्रालय ने हमले की निंदा की है और इजरायल को संयुक्त राष्ट्र से निष्कासित करने की मांग की है।
सलीम हिजबुल्लाह की यूनिट 151 का सदस्य था। अमेरिका ने उस पर एक करोड़ डॉलर (84 करोड़ रुपये) का इनाम रखा था। वह लेबनान के प्रधानमंत्री रफीक हरीरी की हत्या का जिम्मेदार था। हरीरी लेबनान के सबसे लोकप्रिय सुन्नी मुस्लिम नेता थे। वह 5 बार देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं।
14 फरवरी 2005 को बेरूत में हरीरी के काफिले को 3,000 किलो विस्फोटक से लदे एक ट्रक ने टक्कर मार दी थी। इसमें उसकी मौत हो गई थी। इस हमले में उसके साथ मौजूद 21 लोगों की भी मौत हो गई थी।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, हरीरी की हत्या में 3,000 किलोग्राम डायनामाइट के बराबर विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था। हमला इतना भीषण था कि धमाके से 11 मीटर चौड़ा गड्ढा ढह गया।
हिजबुल्लाह ने सलीम को सौंपने से किया इनकार, मोसाद पर हत्या का आरोप नीदरलैंड के हेग में संयुक्त राष्ट्र ने हरीरी की मौत के बाद लेबनान के लिए एक विशेष न्यायाधिकरण (एसटीएल) का गठन किया। 2022 में, एसटीएल ने सलीम सहित तीन लोगों को रफीकी की हत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया और उन सभी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
ट्रिब्यूनल ने कहा कि सलीम अय्याश ने पीएम हरीरी की हत्या करने वाले आत्मघाती दस्ते का नेतृत्व किया। इनमें हसन हबीब मेहरी और हुसैन हसन ओनासी नाम के दो और लोग शामिल थे।
हत्या के बाद से तीनों फरार चल रहे थे। तत्कालीन हिजबुल्ला प्रमुख हसन नसरल्लाह ने तीनों को ट्रिब्यूनल को सौंपने से इनकार कर दिया था। नसरल्ला ने कहा कि मोसाद ने हरीरी की हत्या सीरियाई सेना को लेबनान से बाहर निकालने के लिए की थी।
दरअसल, लेबनान में गृहयुद्ध छिड़ने के बाद सीरिया ने देश के पूर्वी-उत्तरी क्षेत्र पर नियंत्रण कर लिया था। हरीरी सीरिया पर इलाका खाली करने का दबाव बना रहे थे, लेकिन उनकी कोशिशें कामयाब नहीं हो रही थीं। इसी दौरान उसकी हत्या कर दी गई।
हरीरी की हत्या के बाद सीरिया और लेबनान के बीच संबंध खराब हो गए। लेबनान के स्थानीय नेताओं ने सीरिया को देश छोड़ने के लिए मजबूर किया। आखिरकार, संयुक्त राष्ट्र से सीरिया पर दबाव डाला गया, जिसके कारण सीरिया ने अप्रैल 2005 में लेबनान से अपनी सेना वापस ले ली, जिससे देश पर 29 साल का कब्जा समाप्त हो गया।