
Husband Legal Rights
Husband Legal Rights: हिंदूस्तान में महिलाओं के लिए कई कानून है..लेकिन आजकल पुरूषों के उपर प्रताड़ना के काफी केस सामने आ रहे है। कहीं भी पुरूषों के अधिकारों के बारे में बात नहीं की जाती। हाल ही में देश में हुई कुछ घटनाओं ने पुरूषों की मेंटल हेल्थ पर काफी असर डाला है।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानि की NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में 1 लाख 70 हजार से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या की, जिनमें से 48,172 महिलाएं और 1 लाख 22 हजार से ज्यादा शादीशुदा पुरुष थे। यानी हर दिन औसतन 336 पुरुष आत्महत्या कर लेते हैं. इस हिसाब से हर साढ़े 4 मिनट में एक पुरुष सुसाइड कर रहा है।
NCRB इस रिपोर्ट पर एडवोकेट महेश कुमार तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग की तरह राष्ट्रीय पुरुष आयोग के गठन की मांग की
Husband Legal Rights: पति के अधिकार
आज जानिए कि कैसे घरेलु हिंसा के शिकार पति अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए एक्शन ले सकते है।
सभी को पता है कि शादीशुदा महिलाओं के पास कई अधिकार होते है। लेकिन कुछ कानून शादीशुदा पुरूषों के पास भी होते है। जिनका वो इस्तेमाल कर सकते है।
जैसे –
खुद की संपत्ति पर पूर्ण रूप से अधिकार
हिंसा और उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत करने का अधिकार
मैंटल हैरेसमेंट पर पुलिस या कोर्ट में शिकायत करने का अधिकार
तलाक के लिए याचिका दायर करने का अधिकार
हिंदू मैरिज एक्ट के तहत पत्नी से मेंटेनेंस मांगने का अधिकार
एक तरफा तलाक में बच्चे की कस्टडी का अधिकार
पुरूषों को दिए गए इन 6 अधिकारों को डिटेल में समझते है।
खुद की संपत्ति पर पूर्ण रूप से अधिकार
खुद से बनाई गई प्रॉपर्टी पर सिर्फ और सिर्फ पति का ही अधिकार होता है। पत्नी या बच्चों का उस पर कोई अधिकार नहीं होता। वह जब चाहे जिसे चाहे अपनी उसे प्रॉपर्टी दे सकता है या कभी भी किसी भी ट्रस्ट को हैंडओवर कर सकते है।
हिंसा और उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत करने का अधिकार
अगर पत्नी पति पर घरेलू हिंसा करती है तो पति पुलिस से मदद ले सकता है। अगर पति के साथ पत्नी मारपीट कर रही है, या उस पर गलत काम करने के लिए दबाव बना रही है तब पति 100 नंबर पर या फिर महिला हेल्पलाइन नंबर 1091 पर कॉल करके पुलिस से मदद ले सकता है
हालांकि पत्नी के पास घरेलू हिंसा का कानून है, लेकिन पति के लिए वैसा कोई कानून आज तक बना ही नही है।
मैंटल हैरेसमेंट पर पुलिस या कोर्ट में शिकायत करने का अधिकार
पति को मैंटल हैरेस करने वाली पत्नी के खिलाफ पति पुलिस और कोर्ट दोनों की मदद ले सकता है। जैसे- अगर पत्नी उसके परिवार से न मिलने दे, दोस्तों-रिश्तेदारों से दूर रखे तो पति सेक्शन 498a के तहत मामला दर्ज करा सकता है। बार-बार नामर्द बोलने, घर से बाहर निकाल दे, हर बात पर हद से ज्यादा टोक-टोक करे, शारीरिक हिंसा, दर्द देना या नुकसान पहुंचाएं, या फिर गाली दे, और आत्महत्या की धमकी देकर इमोशनली हिंसा करे ऐसे में पति पत्नी के फिलाफ पुलिस और कोर्ट की मदद ले सकता है।
तलाक के लिए याचिका दायर करने का अधिकार
Husband Legal Rights: पत्नियों की तरह पति को भी यह अधिकार है कि वो तलाक के लिए याचिका दायर कर सकता है। इस अधिकार का इस्तेमाल करने के लिए पत्नी की सहमति की कोई जरूरत नहीं होती। वो अपने ऊपर अत्याचार, जान का डर या मेंटल स्टेबिलिटी का जिक्र करते हुए याचिका दायर कर सकता है
अगर पत्नी किसी भी तरह से पति को परेशान कर रही है तो ऐसे मामले में पति हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 13 के तहत तलाक मांग सकता है।
पत्नी से मेंटेनेंस मांगने का अधिकार
अगर पत्नी कमाती है और पति बेरोजगार है..तो पत्नी की तरह ही पति को भी हिंदू मैरिज एक्ट में मेंटेनेंस यानी भरणपोषण और रखरखाव का अधिकार दिया गया है। पतियों को मिलने वाली मेंटेनेंस की रकम को कोर्ट डिसाइड करती है।
हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 के अनुसार, पति और पत्नी दोनों एक-दूसरे से मेंटेनेंस की डिमांड कर सकते हैं।
बच्चे की कस्टडी का हक
Husband Legal Rights: अगर पति पत्नी को एकतरफा तलाक देता है तो बच्चे के भविष्य को देखते हुए पति के पास बच्चे की कस्टडी का अधिकार होता है। लेकिन कोर्ट आर्थिक रूप से सक्षम अभिभावक को ही बच्चे की कस्टडी सौंपती है।
अगर बच्चा बहुत ज्यादा छोटा है तब कोर्ट उसकी देखभाल का जिम्मा मां को सौंपता है। अगर मां किसी कारण से कैपेबल नहीं है तो कोर्ट अपने फैसले में बदलाव भी कर सकता है।
इस सबके अलावा पत्नी पति का घर छोड़कर मायके या कहीं और रह रही हो तो पति हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 9 के तहत डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में एप्लिकेशन दे सकता है। वो मांग कर सकता है कि कोर्ट पत्नी को घर लौटने का आदेश दे।
अगर पत्नी पति की पिटाई करे, और खुद के बचाव के लिए पुरुष उस पर हमला कर दे तो IPC की धारा 96 से 106 के बीच आत्मरक्षा का अधिकार सभी को दिया गया है।
पत्नी अगर पति को गाली दे या बार बार मायके जाने की धमकी दे तो IPC की धारा 120B के तहत पति अपनी पत्नी पर केस दर्ज करवा सकता है।
अगर पत्नी झूठे केस में पति को फंसाए तो पति CrPC की धारा 227 के तहत अपनी पत्नी के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकता है। हालांकि पति को साबित करना होगा की वो सच बोल रहा है।
वहीं पत्नी ने अगर पति को घरेलू हिंसा के झूठे केस में फंसाया है तो IPC की धारा 191 के तहत पति अपनी पत्नी पर केस कर सकता है।
पत्नी पति के खिलाफ मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ना करने का आरोप लगाती है, तो सिविल प्रोसिजर कोड की धारा 9 के तहत पति पत्नी पर केस दर्ज करा सकता है और नुकसान की भरपाई भी मांग सकता है।
अगर पत्नी अपने पति पर मैरिटल रेप का इल्जाम लगाएं तो क्या होगा..
जवाब इंडिया में मैरिटल रेप अपराध नहीं है इसलिए पत्नी इस पर कोई केस नहीं कर सकती है।
ये कुछ ऐसी कंडिशन और धाराएं है जिनमें पतियों के पास भी अधिकार है। इन अधिकारों को लेकर अवेयरनेस आपको परेशानी से बचा सकती है।